करोनाकाल में लोगों को जिस तरह की आर्थिक दिक्कतों का सामना पड़ा वह इससे पहले कभी नहीं देखा गया। लोगों की जमापूंजी खत्म हो गई और आय के साधन सिमट गए। लोगों ने अपनी बचत योजनाओं को भी कम कर दिया और खर्चों को घटाया। भारत में अभी हालात सुधरे नहीं है। महंगाई बढ़ने और आय घटने से लोग काफी परेशान हैं।  इस बीच खबर आई कि भारत की सबसे लोकप्रिय माने जाने वाली निवेश योजना फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी को लेकर लोग निराश हो रहे हैं। एफडी से लोग अपने पैसे निकाल रहे हैं और घर में नकदी जमा कर रहे हैं। क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं।
इस बीच खबर आई कि भारत की सबसे लोकप्रिय माने जाने वाली निवेश योजना फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी को लेकर लोग निराश हो रहे हैं। एफडी से लोग अपने पैसे निकाल रहे हैं और घर में नकदी जमा कर रहे हैं। क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं।
आरबीआइ की रिपोर्ट से मिली जानकारी
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआइ की ओर से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की जमाराशियों और ऋण सांख्यिकी पर आधारित तीन माह में निकलने वाली रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। बताया गया है कि कोरोना काल में आपात स्थिति होने के चलते वित्तीय संकट बढ़ गया जिससे निपटने के लिए लोगों ने बैंकों और पोस्ट आॅफिस की जगह अपने पास नकदी रखनी शुरू कर दी है। इसलिए एफडी कराने वालों की संख्या तेजी से गिरती देखी गई है। आरबीआइ से मिली जानकारी के मुताबिक, जनवरी से मार्च तक देश के करीब 25 राज्यों में एफडी कराने वालों की संख्या घटी है। जबकि एफडी को लेकर लोगों में हमेशा से दिलचस्पी देखी गई है।
तेलंगाना में ज्यादा असर जिले
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान अक्तूबर से दिसंबर और जनवरी से मार्च में दो तिमाही के दौरान यह बड़ा अंतर देखने को मिला। जब राज्यों को देखा गया तो पता चला कि 25 राज्यों के करीब 159 जिलों का डेटा अध्ययन किया गया। पता चला कि कम से कम 15 जिलों में एफडी करने वालों में अरुचि दिखी है। जानकारी के मुताबिक इन जिलों में तेलंगाना के चार, आंध्र प्रदेश में दो, छत्तीसगढ़, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, जम्मू और कश्मीर, असम, यूपी और महाराष्ट्र में एक-एक जिले इसमें शामिल हैं। इसके अलावा बंगलुरु ग्रामीण और मुंबई में भी लोगों का एफडी से मोह भंग होता देखा गया है। आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 705 जिलों के आंकड़ों में 159 ने 2020-21 की अंतिम तिमाही के दौरान बैंकों में एफडी में 0.19 फीसद से 67 फीसद की गिरावट देखी है। पिछले साल इसी समय में एफडी एक साल पहले के 14.94 लाख करोड़ रुपये से 5.86 फीसद घटकर 14.06 लाख करोड़ रुपये हो गई।
बैंक कम जा रहे लोग
नोटबंदी के दौरान जब लोगों तो दिक्कत हुई तो बैंक में पैसा रखने और घर में पैसा रखने वाले दोनों के बीच का अंतर काफी कम हो गया था। क्योंकि इस दौरान सभी लोगों को किसी न किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। लेकिन अब बताया जा रहा है कि आरबीआइ की ओर से जारी रिपोर्ट में पिछले साल की तुलना अब लोगों के पास काफी नकद पैसा घर में जमा कर लिया है और वे बैंक नहीं जा रहे हैं। 13 मार्च 2020 और 21 मई 2021 के बीच में लोगों के घरों में 5.54 लाख करोड़ रुपए का नकद जमा हो गया है। यह सबसे ऊंचे स्तर 28.62 लाख करोड़ पर पहुंच गया है जो अब तक का रिकॉर्ड है।
बचत और चालू जमा में भी गिरावट
सिर्फ एफडी ही नहीं यह प्रभाव बचत खातों में भी दिखा है। पिछले वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में 91 जिलों में चालू जमा भी कम हो गई। पिछले वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में 13 जिलों में बचत जमा में गिरावट देखी गई। एफडी में अभी गिरावट बिहार के शिवहर में देखी जा रही है। यहां 67 फीसद है और मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में सबसे कम 0.19 फीसद है। यहां चालू जमा में कुल राशि का 10 फीसद और बचत खाते में 34 फीसद की हिस्सेदारी है। बाकी चालू, बचत और एफडी में कुल जमा राशि का 55 फीसद है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा समय में न केलव लोग अपनी जरूरत बल्कि चिकित्सा से जुड़ी चीजों के लिए भी अपनी एफडी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
GB Singh
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