हिंदू धर्म के कैलेंडर के अनुसार हर माह में पड़ने वाली अमावस्या, पूर्णिमा और एकादशी का काफी महत्व होता है। हर माह पड़ने वाले इन प्रमुख दिनों के व्रत को करने से मनोकामना पूर्ण होती है और घर में सुख शांति का वास होता है। इस बार फाल्गुन मास के एकादशी व्रत को लोग 14 मार्च को करेंगे। यह आमलकी एकादशी कहलाता है। इस व्रत में आंवले के पेड़ की लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत के बारे में।
कब करें व्रत
आमलकी एकादशी को इसलिए भी आमलकी कहते हैं क्योंकि यह आंवले का ही एक नाम होता है। आंवले के वृक्ष की पूजा होने के कारण ही इसे आमलकी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु को मानते हैं और उनकी भी पूजा करते हैं। बताया जाता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु विराजते हैं इसलिए उनकी पूजा करने से लोगों को अपनी इच्छाएं पूर्ण करने का आशीर्वाद मिलता है। इस बार 14 मार्च को लोग इसका व्रत करेंगे। इसके लिए उन्हें उदया तिथि में व्रत करना होगा। एकादशी तो 13 मार्च को लग जाएगी लेकिन यह सुबह 10 बजे से लग रही है इसलिए इसे 13 नहीं 14 मार्च को रखा जाएगा। 14 को यह मुहूर्त 12 बजे तक रहेगा। ऐसे में उदया तिथि में सूर्य होने के साथ ही व्रत करना अच्छा होगा और यह 14 मार्च को रखा जाएगा। हालांकि पारण लोग उदया तिथि के अनुसार ही अगले दिन 15 मार्च को करें।
कैसे करें पूजा
आमलकी एकादशी का व्रत करने के लिए लोगों को इसकी विधि का पता होना आवश्यक है। जानकारी के मुताबिक, सबसे पहले सुबह उठकर भगवान विष्णु को याद करना चाहिए और व्रत करके संकल्प करना चाहिए। व्रत का संकल्प करने के बाद स्नान करें और इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। भगवान को आंवले का फल अवश्य चढ़ाएं। आप आंवले के पेड़ को जरूर खोज लें क्योंकि वहां आपको धूप और दीपक जलाना होगा और अक्षत व फूल चढ़ाना होगा। इस दिन आप ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन करा सकते हैं। अगले दिन आप ब्राह्मण को कलश, वस्त्र और आंवला दान करके और भोजन करके व्रत पारण कर सकते हैं।
GB Singh