ओलंपिक हर चार साल में आयोजित किया जाता है। हालांकि जिस साल ये होने वाला होता है, उस साल इसकी तैयारियों से लेकर खिलाड़ियों तक के चर्चे मशहूर हो जाते हैं। इस साल ओलंपिक साल भर देरी से हो रहे हैं। फिर भी कई सारी पुरानी व नई कहानियां, ओलंपिक से जुड़ी हुई सोशल मीडिया में गोते खा रही हैं। तो चलिए आज आपको एक दिलचस्प कहानी बताते हैं जिसे सुन कर आपको हंसी भी आएगी और अचंभा भी होगा।
जीतने वाले को नहीं मिला गोल्ड मेडल
बता दे ओलंपिक में एक इवेंट होता है जिसे मैराथन रेस कहा जाता हैं। इस रेस में खिलाड़ी की सेहनशीलता की परख की जाती हैं। खिलाड़ियों के साथ ओलंपिक के मैदान पर एक वैन लगातार चलती रहती है जो समय-समय पर उन्हें पानी, तौलिया व फर्स्ट एड प्रोवाइड कराती है। बता दें कि आज हम साल 1904 के ओलंपिक की बात करेंगे। उस साल ओलंपिक खेलों की मैराथन रेस काफी दिलचस्प थी। दरअसल इस रेस को जीतने वाले विजेता को मेडल ही नहीं दिया गया था। अब ऐसा क्यों हुआ, इसके पीछे एक इंटरेस्टिंग कहानी है। उस साल अमेरिका के राष्ट्रपति की बेटी ने एक खुलासा किया था और रेस जीतने वाले को मेडल देने पर आपत्ति जताते हुए उसे डिस्क्वालिफाई कर दिया था।
32 खिलाड़ियों में बने थे ये विजेता
उस साल वो मैराथन रेस फ्रेड लाॅर्ज नाम के एक खिलाड़ी ने जीती थी। ये मैराथन भयानक गर्मी के मौसम में आयोजित की गई थी। उस वक्त हवा तेज चल रही थी जिस वजह से मुंह में धूल भी जा रही थी और खिलाड़ियों का रेस करना मुश्किल हो रहा था। वहीं पूरी रेस के दौरान सिर्फ एक पानी का स्टाॅल लगाया गया था वो भी 12 मील दूर था। रेस शुरू हुई थी तब उसका हिस्सा 32 खिलाड़ी थे और इसे फ्रेड लाॅर्ज ने जीता था।
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इस वजह से विजेता को नहीं मिला मेडल
हालांकि जैसे ही रेस का विजेता घोषित किया जाना था वैसे ही अमेरिकी राष्ट्रपति की बेटी एलिस ने विजेता को मेडल देने से रोक दिया । उन्होंने उस वक्त फिर जो कहा उसे सुन कर सभी हैरान रह गए थे। दरअसल एलिस ने जाॅर्ज की चीटिंग का खुलासा किया था। उन्होंने बताया कि जाॅर्ज 11.2 किमी तक ही दौड़ लगा पाए थे फिर पैरों में दिक्कत की वजह से उन्होंने बाकी की रेस गाड़ी में लिफ्ट लेकर पूरी की थी। इसलिए इन्हें डिस्क्वालिफाई किया जाए। वहीं दूसरे और तीसरे स्थान वाले खिलाड़ियों को भी नियम उलंघन करने के कारण बाद में डिस्क्वालिफाई कर दिया गया था। ऐसे में चौथे स्थान पर आने वाले हिक्स थाॅमस को विजेता चुना गया था।
ऋषभ वर्मा