नई दिल्ली: चीन और भारत के बीच रिश्तों में चल रही खटास के बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है। चीन के रक्षा मंत्री और स्टेट काउंसिलर वेई फेंग भारत के चार दिवसीय दौरे पर मंगलवार को भारत पहुंच रहे हैं। उम्मीद है कि इस दौरान दोनों पक्षों द्वारा दोनों देशों की सेनाओं के बीच विश्वास बहाली के उपाय तलाशे जाएंगे।
वेई के दौरे का मुख्य उद्देश्य अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच वुहान में हुए अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में किए गए निर्णयों को लागू करने के लिए भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान के साथ विचार.विमर्श करना है। शिखर सम्मेलन में मोदी और शी ने संबंधों में नया अध्याय शुरू करने की प्रतिबद्धता जताई और अपनी सेनाओं को निर्देश दिए कि सीमा पर समन्वय बढ़ाएं।
डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच लंबे समय तक चले गतिरोध के बाद दोनों देशों के प्रमुखों के बीच मुलाकात में यह निर्णय किया गया था। सूत्रों ने कहा कि वुहान शिखर सम्मेलन के दौरान किए गए निर्णयों को लागू करने पर दोनों पक्ष चर्चा करेंगे जिसका उद्देश्य परस्पर विश्वास को बढ़ाना और डोकलाम जैसी स्थिति से बचना था। चीन के स्टेट काउंसिल में मुख्य सदस्य वेई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करेंगे और बुधवार को भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मुलाकात करेंगे।
चीन के रक्षा मंत्री दौरे में भारतीय सेना के एक प्रतिष्ठान में भी जा सकते हैं। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में दोनों पक्ष डोकलाम पठार की स्थिति पर विचार-विमर्श कर सकते हैं और भारतीय पक्ष उत्तर डोकलाम में काफी संख्या में चीनी सैनिकों की उपस्थिति का मुद्दा उठा सकता है। सैन्य प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने बताया कि बातचीत में कई मुद्दों और विकल्पों पर विचार.विमर्श किया जाएगा जो वुहान शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के नेतृत्व के बीच बनी सहमति के मुताबिक होगा।
दोनों पक्ष उस व्यवस्था पर विचार.विमर्श कर सकते हैं जिसके तहत दोनों देशों की सेनाएं करीब 4000 किलोमीटर लंबी सीमा के पास विवादित क्षेत्रों में गश्त करने से पहले एक.दूसरे को सूचित करेंगी। दोनों देशों की सेनाओं के बीच हॉटलाइन बनाने में मतभेदों को सुलझाने का भी प्रयास किया जाएगा।
वुहान शिखर सम्मेलन के बाद दोनों पक्ष ने हॉटलाइन गठित करने के बहुप्रतीक्षित प्रस्ताव पर सहमत हुए थे ताकि विवादित सीमा के पास झगड़ों से बचा जा सकेण् लेकिन प्रोटोकॉल और हॉटलाइन के तकनीकी पहलुओं से जुड़े मुद्दों पर विवाद उभरने के बाद इसमें गतिरोध आ गया। वर्तमान में भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हॉटलाइन है। भारत और चीन के बीच हॉटलाइन का विचार दोनों देशों ने 2013 में रखा था।(सभार-जी न्यूज)