भारत में महंगाई अपने रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है। यह आठ साल में सबसे अधिक है। इसका असर आम आदमी पर पड़ना तय है। आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने के कुछ दिनों के बाद ही यह दर सामने आई है। महंगाई बढ़ने की स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि खाद्य वस्तुओं की कीमत में भारी बढ़ोतरी हुई है। आइए जानते हैं कि बढ़ती महंगाई क्या असर डालेगी।

कहीं दहाई अंक तक न पहुंच जाए महंगाई
अभी मौजूदा समय में खुदरा मुद्रास्फीति दर अप्रैल में साढ़े सात फीसद से आगे बढ़ गई है। यह 7.79 फीसद पर है। यह आठ साल के सबसे उच्चस्तर पर है। इसकी वजह से खाद्य पदार्थों की कीमत में तेजी से इजाफा दिखा है। यही नहीं, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई के आधार पर महंगाई को देखें तो यह मार्च में 6.95 फीसद और 4.24 फीसद अप्रैल 2021 में थी। जानकारों का कहना है कि अगर महंगाई पर लगाम नहीं लगती है तो यह आने वाले दिनों में दहाई के अंक तक पहुंच सकती है। खाद्य पदार्थों के दामों को कम होना यहां जरूरी हो जाता है।
क्या पड़ेगा असर
महंगाई दर बढ़कर साढ़े आठ फीसद से आगे निकल गई है और बचत अभी भी पांच फीसद से अधिक नहीं है। ऐसे में आम आदमी के लिए यह काफी कष्टकारी है। अप्रैल में खाद्य मुद्रास्फीति दर 8.38 फीसद हो गई है जो मार्च में साढ़े सात फीसद से अधिक थी। यह लगातार बड़ रही है। जबकि यह चार फीसद से आसपास रहना चाहिए ताकि सावधि जमा जैसी बचत पर मिलने वाले ब्याज से कम रहने पर लोगों की बचत और उनके खर्च पर असर न पड़े। लेकिन यह साढ़े फीसद से अधिक बढ़ने पर लोगों को खर्च के लिए अतिरिक्त उपाय करने पड़ रहे हैं। कोरोना की वजह से लोगों की कमर पहले से टूटी हुई है ऐसे में यह महंगाई लोगों के लिए काफी तकलीफदेह साबित हो रही है। बताया जा रहा है कि मुद्रास्फीति का दबाव जारी रहने की संभावना है।
GB Singh
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