पश्चिम बंगाल: दो साल से रसगुल्ले को लेकर चल रही जंग आखिरकार खत्म हो गयी। पश्चिम बंगाल आखिरकार ओडिशा से चल रही दो साल पुरानी रसगुल्ले की जंग जीत गया है। दरअसल दोनों राज्यों का दावा था कि रसगुल्ले की उत्पत्ति उनके यहां से हुई हैए लेकिन अब बंगाल को जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स रजिस्ट्रेशन यानि जीआई टैग मिल गया है।

अब रसगुल्ला आधिकारिक तौर पर बंगाली डिश हो गई है। जीआई टैग का मतलब होता है कि पंजीकृत और अधिकृत लोग ही प्रोडक्ट का नाम इस्तेमाल कर सकते हैं। दोनों राज्यों के बीच यह जंग सितंबर 2015 में शुरू हुई थी।
तब ओडिशा सरकार ने ‘उल्टो रथ’ त्यौहार पर ‘रसगुल्ला दिवस’ या ‘रसगुल्ला डे’ मनाना शुरू कर दिया था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बात की बधाई देते हुए ट्वीट भी किया है। ओडिशा का दावा था कि देवी लक्ष्मी एक बार अपने पति जगन्नाथ से नाराज हो गई थीं क्योंकि वह उनको रथ यात्रा के दौरान घर पर अकेले छोड़ गए थे।
तब भगवान जगन्नाथ ने देवी लक्ष्मी को मनाने के लिए रसगुल्ले दिए थे। वहीं पश्चिम बंगाल इस दावे को गलत बताता है। बंगाल का कहना है कि रसगुल्ले तो फटे दूध से बनते हैं जिसको अपवित्र माना जाता है। बंगाल का कहना है कि जिस चीज को पवित्र नहीं माना जाता उसे भगवान द्वारा देवी को देने की बात मानी ही नहीं जा सकती।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features