निजी हो सकते हैं ये दो सरकारी बैंक, जानें ग्राहकों व कर्मचारियों पर असर

एक समय था जब बैंक निजी क्षेत्र से सरकारी हो रहे थे और ग्राहकों में विश्वास बना रहे थे। लेकिन बैंकों के बढ़ते घाटों की वजह से सरकार सरकारी बैंकों का निजीकरण करने की ओर बढ़ चुकी है। पहले चरण में दो बैंकों का नाम तय कर दिया गया है। इन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी सरकार बेच देगी। बता दें कि बजट भाषण के दौरान ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों के निजीकरण में सौंपे जाने की बात कही थी लेकिन बैंकों के नाम तब सामने नहीं आइ थी। लेकिन अब नाम तय कर दिए गए हैं। जल्द ही इनके निजीकरण करने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। इससे ग्राहकों और कर्मचारियों को कितना नुकसान और क्या फायदा होगा आइए जानते हैं।

ये दो बैंक होंगे सरकारी से प्राइवेट

बैंकों के निजीकरण को लेकर बताया जा रहा है कि अभी केंद्र सरकार ने डिसइंवेस्टमेंट यानी कि विनिवेश के लिए दो बैंकों को चुना है। अभी तक जारी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने सेंट्रल बैंक आफ इंडिया जिसे सीबीआइ और इंडियन ओवरसीज बैंक जिसे आइओबी के नाम से जानते हैं उसकी हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है। रिपोर्टों के मुताबिक, विनिवेश के पहले चरण में दोनों बैंकों में सरकार की करीब 51 फीसद हिस्सेदारी बेचने की तैयारी है। जानकारी के मुताबिक, विनिवेश के लिए सरकार बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में भी बदलाव करेगी।

ग्राहकों और कर्मचारियों को नुकसान या फायदा

जानकारी के मुताबिक, देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक आफ इंडिया यानी आरबीआइ के साथ चर्चा कर कानून में बदलाव की बात सामने आ रही है। इन दो बैंकों के नामों की सिफारिश पहले हो गई थी। नीति आयोग को दो बैंक के नाम तय करने की जिम्मेदारी दी गई थी। अब इस फैसले से सवाल उठ रहा है कि यहां काम करने वाले कर्मचारियों और बैंक में खाताधारकों का क्या होगा। इस समय दोनों बैंकों में कई हजार कर्मचारी हैं और लाखों ग्राहक हैं। हालांकि यह सरकार की ओर से बताया जा चुका है कि ग्राहकों को पहले की तरह ही सेवाएं मिलती रहेंगी। उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। सिर्फ बैंक से जुड़े कुछ औपचारिकताएं हैं वही बदली जाएंगी। इसके अलावा कर्मचारियों की नौकरी पर भी कोई खतरा न होने की बात सरकार की ओर से कही जा रही है। अभी तक जो जानकारी मीडिया रिपोर्ट में आइ है उसके मुताबिक केंद्रीय मंत्री ने यह आश्वस्त किया था कि सभी कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा जाएगा और उनके वेतन व पेंशन की सुविधाओं में कोई बदलाव नहीं होगा।

कितना कमा पाएगी सरकार

दोनों बैंकों में अपनी 51 फीसद हिस्सेदारी बेचने पर सरकार पैसा जुटाएगी। जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार इस साल कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में विनिवेश से करीब 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य तय कर रखा है। और दोनों बैंकों के अलावा एक बीमा कंपनी का निजीकरण करने से जो जुटेगा वह इसी लक्ष्य का हिस्सा है। पहले सरकार की ओर से बैंक आफ महाराष्ट्र, बैंक आफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक आफ इंडिया का नाम सामने आए थे। लेकिन यह जिम्मेदारी नीति आयोग को सौंपी गई कि वे दो नाम तय करें। नीति आयोग ने समीक्षा करने के बाद कोर कमेटी को नाम सौंप दिया था। इसमें आर्थिक मामलों से जुड़े विशेषज्ञ और अधिकारी शाामिल थे। हालांकि जैसे ही दोनों बैंकों के नाम बढ़ाने की बात सामने आई तो शेयर बाजार में काफी उछाल देखने को मिला। दोनों बैंकों के शेयर 20 फीसद तक उठ गए थे। सेंट्रल बैंक आफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक दोनोंने काफी बढ़ कर कारोबार किया। अभी विनिवेश की प्रक्रिया में थोड़ा समय लगेगा।

GB Singh

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