सावन के महीने में हरियाली तीज को लेकर महिलाओं को सबसे ज्यादा इंतजार रहता है। खरीदारी और व्रत-पूजन के अलावा इस दिन झूला-झूलने और गीत-संगीत की भी परंपरा है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव पार्वती का व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। कुंवारी कन्याओं में भी यह व्रत रखने को लेकर काफी इच्छा प्रकट की जाती है। वैसे तो भगवान शिव का व्रत लड़कियां अपनी मनोकामना पूरी करने और सुयोग्य वर के लिए रखती हैं लेकिन हरियाली तीज को लेकर कुछ शंकाएं रहती हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में कुंवारी लड़कियों द्वारा करवाचौथ का व्रत करने के बाद यह चलन बढ़ गया है। आइए जानते हैं इस व्रत के बारे में। 
क्या है मान्यता
माना जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव और पार्वती को काफी प्रिय है। इस महीने में वैवाहिक जीवन तो सुखमय होता ही है साथ ही प्रेम संबंध भी काफी मधुर होते हैं। इस महीने में कई ऐसी तारीख आती है जिससे व्रत पूजन करके लोग अपनी मनोकामना पूरी करते हैं। कहा जाता है ििक सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय में पड़ने वाली हरियाली तीज को काफी शुभ माना जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं ही अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं। माता पार्वती से आशीर्वाद लेती हैं। महिलाएं बिना पानी पिए व्रत करती हैं। भगवान को प्रसन्न करने के लिए सुहागिन महिलाएं हरी साड़ी, चूड़ियां धारण करती हैं और मेहंदी लगाती हैं जो काफी शुभ माना जाता है।
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ऐसे करें व्रत
व्रत करने के लिए महिलाएं सुबह जल्दी उठें और भगवान का ध्यान करें। स्नान करने के बाद पूरा श्रंगार करें और हाथों व पैरो में मेहंदी व आलता लगाएं। इसके बाद महिलाएं एकत्र होकर हरियाली तीज की पूजा करती हैं। कहीं-कहीं बाहर मंदिर में या फिर बाग में यह पूजा होती है तो कुछ लोग घर पर ही आराधना करते हैं। इस दौरान माता पार्वती को सुहाग का सामान दिया जाता है। पूजा के बाद महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और घर में बड़ों का आशीर्वाद लेती हैं।
कुंवारी लड़कियां कैसे करें व्रत
यह व्रत वैसे तो सुहागिन महिलाएं ही करती हैं लेकिन कुछ कुछ स्थानों पर देखा गया है कि कुंवारी लड़कियां भी यह व्रत कर रही हैं। इससे यह समझा जाता है कि लड़कियां पूजा करके शिव से प्रार्थना कर रही हैं कि उन्हें अच्छा जीवनसाथी मिले। यही कामना के साथ उनका व्रत होता है लेकिन वह काफी साधारण होता है। इसमें सुहागन जैसा श्रंगार नहीं करना होता है। हरियाली तीज के मौके पर कहा जाता है कि महिलाएं अपने माता-पिता के भेजे वस्त्र पहने। व्रत की कथा कहें। पति के साथ झूला झूल सकती हैं। जीवनसाथी को धोखा न दें और न झूठ बोलें। प्रकृति की रक्षा का संकल्प लें उसे बर्बाद न करें।
GB Singh
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