पाकिस्तान ने अपने उच्चायुक्त सुहैल महमूद को यह आरोप लगाते हुए वापस बुला लिया है कि भारत उसके राजनयिकों का कथित रूप से उत्पीड़न कर रहा है. हालांकि वास्तविकता इसके उलट है. दोनों देशों के बीच मौजूदा कूटनयिक गतिरोध में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मुख्य भूमिका मानी जा रही है.
आईएसआई
दरअसल इस्लामाबाद में भारतीय राजनयिकों के लिए एक रिहायशी कांप्लेक्स का निर्माण हो रहा है. पिछले महीने उस निर्माणाधीन इमारत में 7-8 लोगों ने छापा मारा. कहा जा रहा है कि वो आईएसआई के लोग थे. उन्होंने भारत के स्वामित्व वाली इस बिल्डिंग की बिजली और पानी की सप्लाई को काट दिया. पाकिस्तान में भारत के हाई कमिश्नर अजय बिसारिया ने इसका विरोध प्रकट करने के लिए 16 फरवरी को वहां के विदेश सचिव से मुलाकात की.
इस मीटिंग के बावजूद अगले दो हफ्तों तक बिजली की सप्लाई बहाल नहीं हुई. सिर्फ इतना ही नहीं, खुद बिसारिया की कार को कुछ दिन पहले बीच सड़क पर रोक दिया गया. वह उस दौरान किसी कार्यक्रम में शिरकत करने जा रहे थे. सूत्रों के मुताबिक सभी राजनयिकों के लिए उपलब्ध इस्लामाबाद क्लब की मेंबरशिप भारतीय हाई कमिश्नर समेत भारतीय राजनयिकों को देने में भी अड़ंगेबाजी की गई. पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने इस मेंबरशिप के लिए जरूरी एनओसी को भारतीय राजनयिकों को नहीं दिया है. भारत इन सबका लगातार विरोध करता रहा है लेकिन इसके बजाय पाकिस्तान उलटा भारत पर कथित उत्पीड़न का आरोप लगा रहा है.
पाकिस्तान के आरोप
पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने आरोप लगाते हुए कहा कि भारत सरकार पाकिस्तानी राजनयिकों, उनके परिवार तथा उनके स्टाफ को खुफिया एजेंसियों द्वारा धमकाने की बढ़ती घटनाओं का संज्ञान लेने में विफल रही है. उन्होंने कहा, ”नई दिल्ली में अपने उच्चायुक्त को सलाह-मशविरे के लिए इस्लामाबाद आने को कहा गया है.”
इससे पहले मंगलवार को विदेश कार्यालय ने भारत के उप उच्चायुक्त जेपी सिंह को नई दिल्ली में अपने अधिकारियों और उनके परिवार के उत्पीड़न के आरोप पर तलब किया था. पाक विदेश मंत्रालय ने दावा किया था कि हाल के हफ्तों में स्टाफ तथा उनका परिवार भारतीय एजेंसियों के ”उत्पीड़न, धमकी और स्पष्ट हिंसा” का सामना कर रहा है.
फैसल ने गुरुवार को आरोप लगाया कि जानबूझकर सताना किसी एक घटना तक सीमित नहीं है और ”भारतीय उच्चायोग में और भारतीय विदेश मंत्रालय में उच्चतर स्तर पर बार-बार औपचारिक विरोध दर्ज कराने के बावजूद यह निरंतर जारी है.” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने विदेश मंत्रालय के साथ तस्वीरें साझा की हैं और उन व्यक्तियों की पहचान की है जिन्होंने अधिकारियों को जबरन रोका और तस्वीरें लीं, लेकिन खेदजनक है कि भारत की ओर से अब तक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है.
उन्होंने कहा कि इन निंदनीय घटनाओं को रोकने में भारत सरकार पूरी तरह से उदासीन और विफल है जिनमें बच्चों तक को नहीं बख्शा गया है. ये घटनाएं संकेत देती है कि भारत में, वहां तैनात विदेशी राजनयिकों की रक्षा करने की क्षमता में कमी है या वह ऐसा करना नहीं चाहता है. उन्होंने कहा कि विएना कन्वेंशन के तहत पाकिस्तानी राजनयिकों और उनके परिवारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत सरकार की है.