भारत की एस्ट्रोसेट अंतरिक्ष दूरबीन ने 600 से अधिक गामा किरण विस्फोटों (जीआरबी) का पता लगाया है। एस्ट्रोसेट के कैडमियम जिंक टेलुराइड इमेजर (सीजेडटीआई) डिटेक्टर ने 22 नवंबर को 600वें जीआरबी का पता लगाया गया था। इसके बाद से सीजेडटीआइ ने तीन और ऐसी घटनाओं का पता लगाया है जिनमें नवीनतम जीआरबी का सोमवार को पता लगाया गया।
एस्ट्रोसेट की सफलता पर गर्व
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई के एसोसिएट प्रोफेसर वरुण भालेराव ने कहा, एस्ट्रोसेट ने जो हासिल किया है उस पर हमें गर्व है। जीआरबी अध्ययन का नेतृत्व करने वाले आइआइटी मुंबई के पीएचडी छात्र गौरव वरातकर ने कहा कि लघु महाविस्फोट (मिनी बिग-बैंग्स) कहे जाने वाले जीआरबी ब्रह्मांड में होने वाले विस्फोट हैं, जो सूर्य द्वारा अपने पूरे जीवनकाल में उत्सर्जित की जाने वाली ऊर्जा से अधिक ऊर्जा मात्र कुछ सेकंड में उत्सर्जित करते हैं।
एस्ट्रोसेट को 2015 में किया गया था प्रक्षेपित
बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 2015 में प्रक्षेपित एस्ट्रोसेट की कार्य अवधि पांच साल के लिए निर्धारित थी, लेकिन यह अभी भी सक्रिय है। यह भारत की पहली बहु-तरंगदैर्ध्य अंतरिक्ष वेधशाला है, जो पराबैंगनी से एक्स-रे तक विभिन्न तरंगदैर्ध्य में खगोलीय पिंडों का एक साथ अवलोकन करने के लिए पेलोड से लैस है।