पेड़ों पर चढ़ने में माहिर होती है यह जनजाति, शिकार कर खा जाती है बंदर और सुअर

दुनिया में तमाम ऐसी जनजातियां हैं, जो अपने रहने के तौर-तरीकों से अजीब मानी जाती हैं। कहीं पिता अपनी ही बेटियों के लिए ‘लव हट्स’ बनवाते हैं, तो किसी जगह पर बीवियां बदलने को लेकर कोई बंदिश नहीं होती। ऐसी ही एक जनजाति है इक्वाडोर में, जो अपने अनोखे खान-पान को लेकर जानी जाती है। हम बात कर रहे हैं हुआरानी (Huaorani) जनजाति की।

पेड़ों पर चढ़ने में माहिर होती है यह जनजाति, शिकार कर खा जाती है बंदर और सुअर

फिलहाल इस जनजाति के तकरीबन चार हजार लोग ही बचे हैं। ये पूर्वी इक्वाडोर के घने और बीहड़ जंगलों में रहते हैं। ब्लो पाइप्स में जहरीले तीर फूंक कर ये जानवरों का शिकार करते हैं। खासकर बंदर और सुअर इनके निशाने पर होते हैं। यह मारने के बाद उनकी खाल को भूनते हैं। वहीं, कुछ पौधों को भी ये अपने भोजन के रूप में लेते हैं।

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हुआरानी पेड़ों पर चढ़ने और छलांग लगाने में खासा माहिर होते हैं। बंदरों का शिकार यह पेड़ों पर कूदते-फांदते हुए ही करते हैं। पलक झपकते यह कब एक पेड़ से दूसरे पर पहुंच जाएं, यह पता ही नहीं लग पाता। पेड़ों पर लगातार कूदते-फांदते रहने से इनके पैर चौड़े हो जाते हैं, जिनमें से कुछ लोगों के छह अंगूठे और अंगुलियां भी होती हैं।

विलुप्त होती इस जनजाति की साल 1990 में इक्वाडोर सरकार ने सुध ली थी। तब सरकार ने ‘वाओरानी एथनिक रिसर्व’ बनाया था, जिससे इन्हें बचाया जा सके। हाल ही में ब्रिटिश फोटोग्राफर पेट ऑक्सफोर्ड ने यहां के जंगलों में जाकर इन लोगों के साथ कुछ वक्त बिताया। उनकी जिंदगी को नजदीक से देखा-समझा और तस्वीरों में उसे कैद किया।

हुआरानी रिओ नापो के इर्द-गिर्द ही रहते हैं, जो अमेजन नदी के पास है। ऑक्सफोर्ड ने बताया कि ये लोग जंगल की जिंदगी में ढले होते हैं। ब्लो पाइप्स और भालों से बंदरों और सुअरों का शिकार करते हैं। कई बार इन्हें वाओरानी या वाओ से भी जोड़ कर देखा जाता है, जो कि अमेरिइंडियन जनजाति होती है और उसका किसी और जुबान या भाषा से लेना-देना नहीं होता।

 
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