नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आयकर रिटर्न यानि ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त की समाप्ति के बाद कुल रिटर्न की संख्या 71 प्रतिशत बढ़कर 5.42 करोड़ रही। कारोबार या पेशेवर कार्य करने वाले लोगों के लिए आय के संभावित अनुमान पर आधारित कर जमा करने योजना के तहत दाखिल आयकर रिटर्न की संख्या में पिछले साल की तुलना में 8 गुना इजाफा हुआ है।
इसी प्रकार वेतनभोगी द्वारा दाखिल किए जाने वाले ई.रिटर्न की संख्या में 54 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दाखिल रिटर्न की संख्या में बढ़ोत्तरी बताती है कि करदाताओं द्वारा स्वैच्छिक तौर पर कर अनुपालन बढ़ा है। इसके कई कारण हो सकते हैं जिनमें नोटबंदी का असर, करदाताओं के बीच जागरूकता बढऩा और देरी से रिटर्न दाखिल करने पर जुर्माना शुल्क लगाया जाना शामिल है।
अगस्त 2018 तक दाखिल आयकर रिटर्न की संख्या 5.42 करोड़ है जो 31 अगस्त 2017 में 3.17 करोड़ थी। यह दाखिल रिटर्न की संख्या में 70.86 प्रतिशत वृद्धि को दर्शाता है। अगस्त के आखिरी दिन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से कुल 34.95 लाख रिटर्न दाखिल किए गए। ई रिटर्न दाखिल करने वालों में वेतनभोगियों और अनुमान आधारित कर योजना का लाभ लेने वालों की संख्या में स्पष्ट इजाफा देखा गया है।
मंत्रालय के बयान के अनुसार वेतनभोगियों द्वारा दाखिल ई.रिटर्न की संख्यास 31 अगस्त तक 3.37 करोड़ रही। पिछले साल 31 अगस्त तक यह संख्या 2.19 करोड़ थी। यह सीधे तौर पर 54 प्रतिशत वृद्धि को दिखाता है। इसके अलावा अनुमान आधारित कर योजना के लाभार्थियों द्वारा 1.17 करोड़ ई.रिटर्न दाखिल किए गए। पिछले साल यह संख्या 14.93 लाख थी।
इस प्रकार यह आठ गुना वृद्धि को दिखाता है। उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 के बजट भाषण में कर संग्रहण बढ़ाने के लिए इकाइयों को अपने अनुमान पर आधारित कर जमा करने योजना की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि इस योजना के तहत आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में 41 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह आयकर के दायरे में आने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि को दिखाता है। हालांकि इससे अभी कर संग्रहण में बढ़ोत्तरी उतनी संतोषजनक नहीं है।
(सभार- एनबीटी)