कलाई की टूटी हड्डी से भाला फेकते हैं नीरज, जानें कैसे बने स्टार खिलाड़ी

इन दिनों ओलंपिक में भाला फेंक प्रतियोगिता में सेमीफाइनल में नंबर वन पर स्थान हासिल कर फाइनल में एंट्री करने वाले नीरज चोपड़ा का नाम देश में हर जगह छाया हुआ है। खास बात तो ये है कि जिस हाथ की कलाई घुमा कर वे भाला फेंकते हैं, उनके उसी हाथ की कलाई की हड्डी टूटी हुई है। तो चलिए जानते हैं कि वे उस हाथ से भाला कैसे फेंक लेते हैं।

नीरज पहुंचे फाइनल में

पुरुष भाला फेंक प्रतियोगिता में नीरज चोपड़ा सेमीफाइनल ग्रुप में प्रदर्शन के मामले में पहले स्थान पर रहे। उन्होंने पहली ही कोशिश में 86.65 मीटर तक भाला थ्रो कर दिया था। इसी प्रदर्शन के साथ वे सेमीफाइनल ग्रुप में नंबर वन पर रहे और फाइनल में क्वालीफाई कर लिया। अब वे 7 अगस्त को फाइनल में अपना प्रदर्शन दिखाएंगे। साल 2020 में उन्होंने ओलंपिक में एंट्री करने के लिए 85 मीटर तक भाला फेंक कर क्वालीफाई किया था। जानते हैं कैसा रहा है उनका ये एथलीट बनने का सफर।

कलाई टूटने के बाद भी हार नहीं मानी

नीरज हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले हैं और हमेशा से ही वे एथलीट बनना चाहते थे। शुरुआत में वे बास्केटबाॅल खेलते थे और खेल के दौरान ही उनकी कलाई की हड्डी टूट गई थी। उनकी कलाई की हड्डी टूटने के बाद उन्हें डाॅक्टर ने 6 महीने के रेस्ट पर भेज दिया था। कलाई टूटने के बाद उनके परिवार और दोस्तों ने उनके करियर को खत्म ही समझा था कि नीरज ने हार नहीं मानी और खेल जारी रखा। बीच में तो उनका वजन 82 किलो हो गया था। उनकी कलाई जैसे ही धीरेधीरे ठीक होने लगी तो उन्होंने लगातार 4 महीने तक एक्सरसाइज करके अपने वजन को भी कंंट्रोल में रखा।

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ऐसे लगा जैवलिन थ्रो का चस्का

पानीपत के स्टेडियम में नीरज एक दिन जयवीर को प्रयास करते देखे और उनसे काफी प्रभावित हो गए और उन्होंने इसी फील्ड में अपना करियर बनाने की सोची। शुरू के दिनों में नीरज भाला फेंकने वाले खिलाड़ियों का भाला उठा कर लाने का काम करते थे। इसी बीच वे टाइम निकाल कर अपनी थ्रोइंग प्रेक्टिस भी किया करते थे। उन्होंने धीरे से तकनीक को समझा और प्रैक्‌टिस्‌ कर महान खिलाड़ी बन गए। वो कहते हैं न कि प्रैक्‌टिस्‌ मेक्स अ मैन परफेक्ट।

ऋषभ वर्मा

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