जेडीयू के बागी नेता शरद यादव को राज्यसभा सदस्यता से आयोग्य ठहराने के लिए पिछले दिनों राज्यसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह और महासचिव संजय झा ने सभापति वेंकैया नायडू को ज्ञापन दिया था. हालांकि, इस मामले में फैसला इतना आसान नहीं, पार्टी पर दावे के मामले पर अभी चुनाव आयोग का फैसला आना है उसके बाद ही राज्यसभा सभापति पर फैसला आ सकेगा.
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नीतीश कुमार के इस कदम के बाद ही जेडीयू के असंतुष्ट गुट ने कहा कि पहले से ये मामला चुनाव आयोग के सामने है कि पार्टी पर हक किसका है. शरद यादव गुट का या फिर नीतीश गुट का. ऐसे में चुनाव आयोग द्वारा मामले का हल हो जाने के बाद ही उपराष्ट्रपति (राज्यसभा के सभापति) विचार-विमर्श के लिए नीतीश गुट के लोगों द्वारा दिए ज्ञापन पर विचर विमर्श कर सकते हैं.
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक शरद यादव के सहयोगी जावेद रजा ने कहा कि राज्यसभा के सभापति को शरद यादव को आयोग्य ठहराए जाने के लिए नीतीश गुट की तरफ से जो कोशिश हो रही हैं हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि ये मामला चुनाव आयोग के सामने है.
शरद गुट ने 25 अगस्त को चुनाव आयोग के सामने पार्टी और निशान पर अपना दावा किया था. इसके अलावा उन्होंने कहा कि, हमने जेडीयू संसदीय दल के नेता कौशलेंद्र सिंह को भी लिखा है, क्योंकि यह नीतीश कुमार के साथ थे और जिसने पार्टी को त्याग दिया था. ऐसे में उनके पास राज्यसभा में जेडीयू के नेता के रूप में शरद जी को हटाने का कोई कानूनी और नैतिक अधिकार नहीं है.
जावेद रजा ने कहा कि इसीलिए शरद यादव जी ने चुनाव पत्र की एक प्रति राज्यसभा के सभापति को भेजी है, जिससे ये बात स्पष्ट होती है यह मुद्दा चुनाव आयोग के सक्षम लंबित है.
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