जेएनयू छात्र संघ चुनाव के एक दिन पहले ढपली की थाप के साथ प्रेसिडेंशियल डिबेट में सभी संगठनों के प्रत्याशियों ने अपनी बौद्धिक और तार्किक ताकतों का प्रयोग किया। इस दौरान प्रत्याशियों ने चुनावी मुद्दों को छात्रों के सामने रखा। साथ ही विरोधी उम्मीदवारों के सवालों का जवाब दिया। नारों के बीच अध्यक्ष पद के लिए उतरे आठ उम्मीदवारों ने राजनीतिक विचारधारा पक्ष के लिए अपनी-अपनी राय रखी।
दृष्टिहीन छात्रों के प्रदर्शन के कारण डिबेट बुधवार को तकरीबन एक घंटे देरी से रात 12 बजे शुरू हुआ। सबसे पहले बाप्सा के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार ठल्लापली प्रवीण ने कहा कि देश में लोगों पर लगातर हमले हो रहे हैं। इन्हें रोकने की कोशिश नहीं की गई। ललित मोदी जैसे लोग देश छोड़कर जा रहे हैं, लेकिन उनको सरकार पकड़ नहीं पाई।
निर्दलीय नेत्रहीन निधि मिश्र ने कहा कि देश में हिंदू और मुस्लिम की राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेफ्ट समर्थकों ने बिहार, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में तब आवाज नहीं उठाई, जब वहां पर जाति से जुड़े विवादों में लोगों की जानें चली गई। दिव्यांग छात्रों के हित में कैंपस में रैंप नहीं बनवाए गए। जेएनयू में एनएसयूआइ के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार विकास यादव ने नोटबंदी का मुद्दा उठाय। उन्होंने कहा कि देश में सरकारी संस्थान को बंद किया जा रहा है।
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