ज्येष्ठ मास में कई व्रत और त्योहारों की श्रृंखला में एकादशी का भी बहुत महत्व है। इस व्रत को करने का यह अच्छा महीना माना जाता है। और ज्येष्ठ मास में पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं ऐसे में यह व्रत और अधिक महत्वपूर्ण है। कहते हैं कि यह व्रत करने से साल के सभी एकादशी का व्रत करने जितना ही फल मिलता है। इस बार निर्जला एकादशी का व्रत जून में 10 तारीख को पड़ रहा है। आइए जानते हैं कि कब और कैसे करें पूजा।
व्रत का मुहूर्त
ज्येष्ठ के महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन यह निर्जला व्रत किया जाएगा। इस व्रत के नाम से ही पता है कि इसमें पानी भी नहीं पी सकते हैं। व्रत 10 जून को होगा इसलिए इसके समय का ध्यान रखना भी जरूरी है। बताते हैं कि यह काफी कठिन व्रत होता है लेकिन भगवान की शक्ति से लोगों को व्रत करने की हिम्मत मिलती है। भगवान विष्णु की इस व्रत में पूजा करते हैं। सुबह भोर में ही उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
व्रत में बातों का ध्यान रखें
निर्जला व्रत काफी गर्मी में पड़ रहा है ऐसे में अगर आप बीमार हैं तो व्रत डाक्टर की सलाह से ही लें। व्रत में दवाओं का सेवन व अन्य चीजों के लिए अपने घर के किसी जानकार से राय लें। निर्जला व्रत एकादशी को हात है लेकिन दशमी से ही भोजन कम करें और तामसिक चीजें तो एक दिन पहले बिल्कुल भी न खाएं। गर्मी के दिनों में अगर आप घर के बाहर राहगीर या जानवरों के लिए पानी रखते हैं तो अच्छा होगा। इस दिन चावल खाने की मनाही है। बैंगन और शलजम भी न खाएं। बुरे विचार न लाएं मन में। स्नान और पूजा के बाद दान भी कर सकते हैं।
GB Singh