ज्येष्ठ मास में काफी त्योहार और व्रत पड़ते हैं जिनका महत्व है। पिछले कुछ दिनों से लगातार कोई न कोई शुभ व्रत व पूजा हो रही है। अब माह की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा के दिन भी पूजा होगा। यह शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा काफी खास बताई जा रहा है। कई लोग वट पूर्णिमा भी कहते हैं। आइए जानते हैं कि कब मनाई जाएगी यह पूर्णिमा।
14 जून को है व्रत
हिंदूओं में पूर्णिमा का अपना विशेष स्थान है। इस दिन खास तौर पर घरों में पूजा होती है और व्रत किया जाता है। पंचांग के अनुसार हर माह की समाप्ति पूर्णिमा से होती है। इस दिन पूरा चांद होता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा इस बार 14 जून को पड़ रही है। इसे वट पूर्णिमा मानते हुएं कुछ महिलाएं व्रत करेंगी और अपने पतियों के लिए आशीर्वाद मांगेंगी। इस दिन दान करने और स्नान करने की भी काफी खास रीति है। लोग भगवान सत्यनारायण की कथा भी सुनते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
पूजा मुहूर्त और विधि
पूर्णिमा के व्रत के पीछे एक मान्यता बी है। कहते हैं कि इससे चंद्र दोष मिटता है और लक्ष्मी मिलती है। पूर्णिमा पंचांग के अनुसार 13 जून को सोमवारको रात में नौ बजकर दो मिनट पर पूर्णिमा तिथि के साथ शुरू होगी। यह 14 जून को मंगलवार को शाम 5 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। लेकिन उदया तिथि के अनुसार व्रत 14 जून को ही होगा। इस बार साध्य और शुभ योग होने के कारण सुबह साढ़े नौ बजकर 40 मिनट तक पूजा करना अच्छा है। इसके बाद सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक पूजा करना अच्छा है। इस दिन सुबह पूर्णिमा व्रत और शाम को चंद्र दर्शन किए जाते हैं। चंद्र दर्शन शाम को साढ़े सात बजे होगा। चंद्र पूजा में जल में दूध, चीनी, चावल और फूल मिलाकर चांद को अर्पित करना चाहिएि। इससे दोष मिटते हैं। इस दिन लक्ष्मी से जुड़े उपाय करना भी अच्छा होता है।
GB Singh