हमारे देश में नवरात्रि के पर्व को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि मूलता साल में दो बार मनाई जाती है। शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि। दोनों ही पर्व का अलग-अलग अपना एक महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि नवंबर के महीने के दौरान मनाते हैं। इस नवरात्रि में महाअष्टमी और महानवमी का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
वहीं बात अगर चैत्र की नवरात्रि की करें तो मार्च या अप्रैल के महीने के दौरान चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है।
इस नवरात्रि में राम नवमी का पर्व बहुत ही आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाता है। हालांकि दोनों ही पर्व में माता दुर्गा के भव्य रूपों के दर्शन होते हैं। हम सभी माता दुर्गा की मूर्तियों को स्थापित करते हैं और श्रद्धा सुमन के साथ उनकी पूजा अर्चना करते हैं।
इस बार 13 अप्रैल को चैत्र के नवरात्र शुरू हो रहे हैं जोकि 21 अप्रैल तक चलेंगे। नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना की जाती है यानी कि कलश स्थपित किया जाता है। कलश को विष्णु जी का अवतार माना जाता है। हमारी मान्यताओं में कलश का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है। तो चलिए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के साथ किस तरह से हम सभी करें कलश की स्थापना। कलश की स्थापना के लिए कौन-सा शुभ मुहूर्त रहेगा-
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
किसी कार्य को अगर उसके शुभ मुहुर्त में किया जाए तो उसका परिणाम भी शुभ ही होता है। चाहे वह किसी मांगलिक कार्य को लेकर हो या फिर कोई व्रत या पूजन विधि कार्यक्रम ही हो। माता के नव रूपों के दर्शन करने के लिए उनकी स्थापना जरूरी है। जानिए क्या है कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त-
मेष लग्न वाले :- प्रातः 6:02 से 7:38 बजे तक कलश स्थापना करें।
वृषभ लग्न वाले :- प्रातः 7:38 से 9:34 बजे तक कलश स्थापना करें।
सिंह लग्न वाले :- अपराहन 14:07 से 16:25 बजे तक कलश स्थापना करें।
ऐसे करें कलश की स्थापना
सुबह जल्दी उठना चाहिए। साथ ही स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहने और मंदिर को साफ सुथरा कर लें। इसके बाद एक चौकी बिछा लें जिसके ऊपर से लाल या सफेद रंग का कपड़ा बिछायें। उस कपड़े पर चावल और मिट्टी के बर्तन में जौं को डाल दें और इसी मिट्टी के बर्तन के ऊपर चावल का कलश रखकर स्वास्तिक बनाएं और उस पर कलावा बांधें। इतना करने के बाद कलश के ऊपर नारियल और लाल चुनरी कलस में लपेटें। वहीं माता को लाल चुनरी चढ़ाकर उनका दीपक जलाकर आवाहन करें।