एक दौर था जब कर्णम मल्लेश्वरी का नाम हर न्यूज चैनल पर छाया था। अरे भाई पहली बार कोई महिला ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीत कर लाई थी। बता दें कि उन्होंने ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। हालांकि साउथ इंडिया की रहने वाली मल्लेश्वरी अब एक बार फिर से चर्चा में आ गई हैं। इस बार वो दिल्ली विश्वविद्यालय की कुलपति बनने को लेकर सुर्खियां बटोर रही हैंं। तो चलिए जानते हैं उनके ओलंपिक प्रदर्शनों के बारे में, साथ ही जानते हैं मल्लेश्वरी पदक जीतने के बाद कहां गायब थीं।
डीयू की कुलपति बन गईं मल्लेश्वरी
देश के लिए ओलंपिक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला कर्णम मल्लेश्वरी डीयू की कुलपति बन गई हैं। दिल्ली सरकार ने खुद उन्हें इस पद पर आसीन किया है। इस बारे में दिल्ली के उपराज्यपाल ने भी अपनी बात कही है। बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल ही दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति भी हैं। उन्होंने कहा है कि वे दिल्ली विश्वविद्याल के कुलपति की जिम्मेदारी मल्लेश्वरी को सौंपते हुए बेहद खुश हैं।
देश के लिए ओलंपिक में बनाया ये रिकाॅर्ड
मालूम हो कि साल 2000 में मल्लेश्वरी ने देश के लिए ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। उस साल ओलंपिक सिडनी में हुआ था। खास बात ये है कि उनका ये रिकाॅर्ड आज तक टूटा ही नहीं। दरअसल देश में उनके बाद कोई भी महिला वेटलिफ्टर ओलंपिक में देश के लिए पदक ला ही नहीं पाई। साल 2000 में मल्लेश्वरी ने वेटलिफ्टिंग में स्नैच में 110 व क्लीन एंड जर्क कैटेगरी में 130 किलो वजन उठाया था। मल्लेश्वरी को साल 1994 में अर्जुन अवाॅर्ड्स से भी नवाजा गया था। वहीं ओलंपिक में देश के लिए पदक लाने से एक साल पहले ही उन्हें खेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका था। उसी साल उन्हें पद्मश्री अवाॅर्ड से भी नवाजा गया था। बता दें कि दिल्ली विश्वविद्याल का कुलपति बनने से पहले वे फूड काॅर्पोरेशन आफ इंडियकी चीफ जनरल मैनेजर रही थीं।
12 साल की उम्र से कर रहीं वेटलिफ्टिंग
कर्णम मल्लेश्वरी ने ओलंपिक में देश का नाम रोशन करने के लिए बचपन से ही तैयारी शुरु कर दी थी। जब वे महज 12 साल की थीं, तभी से उन्होंने वेटलिफ्टिंग करना शुरु कर दिया था। उनका जन्म 1 जून, 1975 को आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में हुआ था। मल्लेश्वरी ने नीलमशेट्टी अपन्ना से वेटलिफ्टिंग के गुण सीखे व ट्रेनिंग ली। उनकी परफार्मेंस पर स्पोर्ट्स एथोरिटी आफ इंडिया की नजर पड़ी तो वे साल 1990 में नेशनल कैंप का हिस्सा बन गईं। इसके साथ ही वो 54 किलो वेट में विश्व चैंपियनशिप जीतने में कामयाब भी रही थीं। 1993 से 1996 के बीच उन्होंने वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में दो गोल्ड मेडल भी जीते थे।
ऋषभ वर्मा