बेंगलुरु: कर्नाटक के नवनियुक्त मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी आज बहुमत परीक्षण का सामना करेंगे। इस बीच भाजपा ने स्पीकर पोस्ट के लिए अपना उम्मीदवार उतार कर सरकार की टेंशन बढ़ा दी है। सीएम के फ्लोर टेस्ट से पहले स्पीकर के चुनाव के कारण कांग्रेस-जेडीएस सरकार को दोहरे शक्ति परीक्षण से गुजरना होगा। कांग्रेस-जेडीएस की ओर से पूर्व स्पीकर और स्वास्थ्य मंत्री के.आर.रमेश उम्मीदवार हैं जबकि बीजेपी की ओर से पूर्व कानून मंत्री एस.सुरेश कुमार मैदान में आ गए हैं।
बहुमत परीक्षण से पहले ही कांग्रेस की ओर से साफ कर दिया गया है कि उसने जेडीएस के साथ 5 साल तक सरकार चलाने को लेकर अभी फैसला नहीं लिया है। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम परमेश्वर ने कहा कि इस मुद्दे पर अभी चर्चा होनी है और अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है।
इससे एक बात तो तय है कि जेडीएस के नेता कुमारस्वामी के लिए 5 साल तक सरकार चला पाना आसान नहीं होगा। इससे पहले जेडीएस-कांग्रेस और बीएसपी गठबंधन के नेता कुमारस्वामी ने बुधवार को विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं की मौजूदगी में शपथ ग्रहण किया था। उधर बीजेपी के तेवर से साफ है कि येदियुरप्पा के पद छोडऩे के बाद भी वह हताश नहीं है। गठबंधन सरकार को चुनौती देने के लिए ही पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए पांच बार के अपने विधायक सुरेश कुमार को मैदान में उतारा है।
मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के लिए बहुमत साबित करना भले ही आसान हो पर स्पीकर पोस्ट के लिए सियासी लड़ाई दिलचस्प हो गई है। ऐसे में आज दोहरे शक्ति परीक्षण की स्थिति बन गई है। स्पीकर पोस्ट के लिए बीजेपी उम्मीदवार एस सुरेश कुमार ने कहा कि संख्या बल और कई अन्य कारकों के आधार पर हमारी पार्टी के नेताओं को विश्वास है कि मैं ही जीतूंगा।
इसी विश्वास के साथ मैंने नामांकन दाखिल किया है। ह पूछने पर कि बीजेपी के केवल 104 विधायक हैं तो ऐसे में उनके जीतने की संभावना क्या है सुरेश कुमार ने कहा कि मैंने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। शुक्रवार दोपहर सवा बारह बजे चुनाव है। चुनाव के बाद आपको पता चल जाएगा। खबर है कि फ्लोर टेस्ट से पहले कांग्रेस और जेडीएस ने अपने विधायकों को फिर से होटल भेज दिया है। दरअसल गठबंधन सरकार को डर है कि कहीं कोई विधायक बीजेपी के पाले में न चला जाए। बताया जा रहा है कि विधायकों को उनके परिवार से भी संपर्क नहीं करने दिया जा रहा है।
उनके मोबाइल भी ले लिए गए हैं। माना जा रहा है कि कुमारस्वामी के बहुमत हासिल करने के बाद विधायकों को अपने घर जाने दिया जाएगा। उधरए कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने गठबंधन उम्मीदवार की जीत को लेकर विश्वास जताया है। उन्होंने कहा कि मुझे पता चला है कि बीजेपी ने भी नामांकन दाखिल किया है।
मुझे उम्मीद है कि वह अपना नाम वापस ले लेगी। यदि चुनाव होता है तो रमेश कुमार की जीत निश्चित है। सीएम कुमारस्वामी के विश्वासमत हासिल करने की संभावना है लेकिन उनके लिए मंत्रिमंडल का विस्तार मुश्किल साबित होने वाला है। बता दें कि 224 सदस्यों वाले कर्नाटक विधानसभा में 221 विधायक ही हैं। बीजेपी के उम्मीदवार की मौत के बाद जयनगर सीट पर चुनाव टाल दिया गया था और कदाचार के आरोपों के कारण आरआर नगर सीट पर मतदान स्थगित कर दिया गया था।
इसके अलावा कुमारस्वामी दो सीटों पर चुनकर आए हैं। शपथ लेने के बाद कुमारस्वामी ने विश्वास मत हासिल करने का विश्वास जताया था। कुमारस्वामी ने पहले आशंका जताई थी कि उनकी सरकार को गिराने के लिए बीजेपी ऑपरेशन कमल दोहराने का प्रयास कर सकती है।
कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास में ऑपरेशन कमल शब्द साल 2008 में उस वक्त उछला था जब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद संभाला था। पार्टी को साधारण बहुमत के लिए तीन विधायकों की जरूरत थी।
ऑपरेशन कमल के तहत कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायकों को बीजेपी में शामिल होने के लिए राजी किया गया था। उनसे कहा गया था कि वे विधानसभा की अपनी सदस्यता छोड़कर फिर से चुनाव लड़ें। उनके इस्तीफे की वजह से विश्वास मत के दौरान जीत के लिए जरूरी संख्या कम हो गई थी और फिर येदियुरप्पा विश्वासमत जीत गए थे।