अदालत ने कहा था संभवत: उनकी नजर में यह पहला मामला है जब कोई यह कह रहा है कि मामले में जल्द सुनवाई न हो। इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व पांच अन्य आप नेताओं के खिलाफ सुनवाई चल रही है। अदालत ने फिलहाल दायर आवेदन पर फैसला सुरक्षित रखा था।
अदालत ने आप नेता आशुतोष को फटकार लगाते हुए कहा कि आप कैसे कह सकते हैं कि जज ने प्रभाव में आकर जल्द निपटारे का आदेश दिया है। खंडपीठ ने कहा हाईकोर्ट किसी भी मामले में देरी से हुए ट्रायल के लिए सर्वोच्च न्यायालय के प्रति जवाबदेह है।
दरअसल आशुतोष ने हाईकोर्ट के सिंगल जज मनमोहन द्वारा 26 जुलाई के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने मामले की जल्द सुनवाई का आदेश दिया था। यह फैसला जेटली की याचिका पर आया था।
अदालत ने कहा कि हम पहली बार ऐसी याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं जिस मामले में जल्द निपटारे पर कोई परेशान हो रहा है। अदालत ने केजरीवाल के अधिवक्ता से कहा आप ने इस प्रकार की याचिका दायर करने की अपेक्षा अपने मुवक्किल को यह सलाह क्यों नहीं दी कि मामले का अंत जल्द होना चाहिए।
केजरीवाल के अधिवक्ता ने तर्क रखा कि जब मामले में संयुक्त रजिस्ट्रार के समक्ष बयान दर्ज हो रहे हों तो जज को ऐसे में मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। वहीं जेटली के अधिवक्ता ने कहा कि यह मात्र मामले में देरी करने का उद्देश्य है। मामला डीडीसीए में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है।