देवउठनी एकादशी के बाद से ही शुभ मुहूर्त शुरू हैं और लोगों के यहां मंगल कार्य शुरू हो गए हैं। इस समय शादियों का सीजन चल रहा है और घरों का निर्माण भी हो रहा है। लेकिन 14 दिसंबर के बाद खरमास शुरू होगा जिसमें किसी प्रकार के मंगल कार्य नहीं होंगे और शुभ कार्य करना वर्जित हो जाएगा। इसी दिन से शुभ विवाह का मुहूर्त भी खत्म हो रहा है। खरमास के विषय में और जानते हैं।
कब लगता है खरमास
हिंदू धर्म में किसी भी कार्य के लिए शुभ मुहूर्त का होना आवश्यक है। साथ ही सूर्य की चाल को भी ध्यान में रखना होता है। खरमास माह में किसी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस माह में नई शादी करके गई बहुएं भी अपने मायके आती हैं और अपनी सास का चेहरा नहीं देखती हैं। यह 14 जनवरी को समाप्त होगा पूरे एक माह बाद। इस दौरान सूर्य की चाल धीमी पड़ती है। विज्ञान के माध्यम से देखें तो ठंड बढ़ती है। शादी, सगाई, वधु का प्रवेश, गृह प्रवेश, गृह निर्माण और नए व्यापार की शुरुआत नहीं की जा सकती है। जानकारी के मुताबिक, जब सूर्य बृहस्पति राशि में आते हैं तो खरमास या मलमास शुरू होता है। इसे अधिमास भी कहते हैं। हिंदू धर्म में यह शुभ नहीं। नामकरण या यज्ञोपवीत संस्कार भी वर्जित है।
इस माह क्या करें
खरमास माह के दौरान दान- दक्षिणा देना चाहिए और पुण्य कमाना चाहिए। गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें। रोज सूर्य को जल अर्पित करें और सूर्योदय से पहले उठकर अर्घ्य दें। गौ सेवा करें और गायों को हरा चना खिलाएं और गुड़ खिलाएं। गाय की तस्वीर लगाएं और गाय की पूजा करें। जमीन पर सोएं और कोई शुभ कार्य न करें। पत्तल में भोजन करें और लड़ाई झगड़े से इस माह दूर रहें। पूजा पाठ में मन लगाएं। कुछ लोग मांस व मदिरा भी नहीं खाते लेकिन यह कुछ लोगों की अपनी सोच पर निर्भर करता है। तुलसी की पूजा करें और दीपक जलाएं। विष्णु और लक्ष्मी की पूजा लाभदायक होती है।
GB Singh