कोरोना काल में नौकरीपेशा लोगों की समस्या और बढ़ने वाली है। केंद्र सरकार जो नया लेबर कोड लेकर आ रही है उससे नकदी की समस्या पैदा हो सकती है। खासकर उन लोगों को जिनकी हाथ में आने वाला वेतन ज्यादा है और खर्च भी उसी के अनुरूप है। जानकारी के मुताबिक,केंद्र लेबर कोड में बदलाव करके भविष्य में मिलने वाली राशि को बढ़ाएगी लेकिन हाथ में आने वाले वेतन को घटाएगी। इस नए लेबर कोड में और कुछ बदलाव देखने को मिलेगा। कुल मिलाकर चार बदलाव किए गए हैं। इसे अप्रैल 2021 से लागू करना था जो टल गया था और अब लागू हो रहा है। आइए जानते हैं इनका आप पर कैसे असर पड़ेगा।
भविष्य के पैसे में बढ़ोतरी वर्तमान में कटौती
अगर वर्तमान सही हो तो भविष्य भी सही होता है। लेकिन सरकार की ओर से जो लेबर कोड लागू होगा उसमें वर्तमान तो आपको जैसे तैसे बिताना होगा लेकिन भविष्य को लेकर सरकार आपके हाथ मजबूत करेगी। नौकरीपेशा लोगों के हाथ में आने वाली सैलरी में सबसे अधिक बदलाव दिखेगा। चार लेबर कोड लागू होने के बाद जो टेक होम सैलरी यानी कटौती के बाद जो हाथ में सैलरी मिलती है वह और कम हो जाएगी। लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाला पैसा अपने आप बढ़ जाएगा। ग्रैज्यूटी भी बढ़ने की संभावना है। अगर वेज कोड लागू हो गया तो कर्मचारियों के बेसिक वेतन और पीएफ के जोड़ घटाने में काफी बदलाव देखने को मिलेगा।
क्या है ये नया लेबर कोड
केंद्र सरकार ने हमारे 29 श्रम कानूनों को मिलाकर 4 नए वेज कोड बनाएं हैं। यानी इससे पहले श्रमिकों के हितों के लिए जो 29 तरह के कानून थे अब वो सब एक में मिलाकर सिर्फ 4 तरह के कानून बनाए गए हैं। इनमें औद्योगिक रिलेशन कोड,कोड आन आक्यूपेशनल सेफ्टी,हेल्थ एंड वर्किंग शर्तों का कोड और सामाजिक सुरक्षा आन वेजज शामिल है। वेज कोड कानून 2019 के अनुसार अब किसी भी कंपनी के कर्मचारी की बेसिक वेतन कंपनी की लागत यानी सीटीसी जिसे कॉस्ट टू कंपनी कहते हैं से 50 फीसद कम नहीं हो सकेगी।
क्या होगा फायदा
नया वेज कोड लागू होने के बाद कंपनी यानी नियोक्ता की ओर से कर्मचारी को उसके सीटीसी का 50 फीसद मूल वेतन के रूप में देना ही होगा। इससे भविष्य निधि यानी पीएफ और ग्रेज्युटी जैसे अन्य चीजों में कर्मचारी का योगदान बढ़ेगा। नया वेज लागू होने के बाद बोनस, पेंशन, वाहन भत्ता, मकान का भत्ता, आवास का लाभ,ओवरटाइम आदि बाहर हो जाएंगे। इसमें मूल रूप से बेसिक पे, डीए और अन्य पे समेत सिर्फ तीन ही चीजें शामिल होंगी। कंपनी को भी ध्यान रखना होगा कि बेसिक सेलरी को छोड़कर अन्य चीजें 50 फीसद से अधिक न हो। आधे में बेसिक सैलरी ही हो।
राज्यों पर नियम तय करने की जिम्मेदारी
श्रम मंत्रालय ने चार कोड के तहत नियमों को भी तय कर लिया था। लेकिन इन्हें लागू नहीं किया जा सका। इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि कोड के तहत नियमों को नोटिफाई करने की स्थिति में नही थे। भारत के संविधान के तहत श्रम समवर्ती सूची में आता है और इसलिए इन चार कोड को अपने अधिकार क्षेत्र में कानून बनाने के लिए इनके तहत आने वाले नियमों को नोटिफाई भी करना होगा। जानकारी के मुताबिक कई बड़े राज्यों ने अभी तक चार कोड के तहत नियमों को तय नहीं किया है। कुछ राज्य तो कानून को लागू करने के लिए नियम तय करने के लिए तैयार हैं लेकिन कुछ में अभी ऊहापोह की स्थिति है। अगर राज्यों की ओर से जल्द ही नियम नहीं तय किए गए तो केंद्र को ही सारे नियम तय करने होंगे और वे इस इंतजार में दिख भी नहीं रहे हैं। बताया जा रहा है कि अगर अचानक से नियम लागू होते हैं तो कंपनियों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि उन्हें समय नहीं मिल सकेगा। सूत्र के मुताबिक, कुछ राज्यों ने ड्राफ्ट नियमों को पहले ही तय कर लिए हैं। ये राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, पंजाब,गुजरात, कर्नाटक और उत्तराखंड हैं।
GB Singh