जयोतिष शास्त्र में कुंडली को किसी भी शख्स के जीवन का ब्लू प्रिंट कहा जाता है। कुंडली व्यक्ति जन्म दिन, समय और स्थान पर बनाई जाती है। इसमें उस इंसान के जीवन में होने वाली प्रमुख घटनाएं कब होंगी इसकी जानकारी होती है। इसे जन्म कुंडली या जन्मपत्री भी कहते हैं। इसमें उस इंसान के जन्म के समय ग्रह, नक्षत्र, राशियां और ज्योतिष के दूसरे प्रमुख तत्व कहां थे, इसका उल्लेख होता है। इसी के आधार पर उसके भविष्या का खाका तैयार किया जाता है। इसके साथ ही किसी व्यक्ति के जीवन में आने वाली परेशानी या अड़चन के कारणों का भी पता लगाया जाता है।
किसी व्यक्ति का स्वभाव, उसकी आर्थिक स्थिति, कॅरियर, शादी, बच्चों के जन्म के साथ ही उसके संबंधों का भी पता कुंडली से लगाया जा सकता है। कुंडली के किसी भाव में कौन सा ग्रह जन्म के समय था और उसके जीवनकाल में वह कब और कहां होगा, इन सभी सवालों का जवाब इससे मिलता है। कुंडली के 12 भाव 12 ग्रहों के मुताबिक होते हैं। इन्हीं में जन्म के समय ग्रहों की स्थिति के आधार पर किसी व्यक्ति के जीवन में होने वाली घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है।
कुंडली के सभी 12 भाव जीवन के विभन्न क्षेत्रों से संबंधित होते हैं। इन सबके अलग-अलग नाम भी हैं और इसी के मुताबिक इनके काम भी हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में :
पहला भाव : शरीर, दूसरा भाव : धन, तीसरा भाव : भार्इ-बहन, चौथा : मां, पांचवां : पुत्र, छठा : शत्रु, सातवां : जीवनसाथी या विवाह, आठवां : उम्र, नौवां : धर्म : दसवां : कर्म, ग्यारहवां : आय, बारहवां : खर्च की स्थिति को दर्शाता है।
आइए जानते हैं इन भावों से मिलती है क्या जानकारी :
प्रथम भाव : आयु नाम के इस भाव से व्यक्ति की शारीरिक संरचना, उसका स्वभाव, ज्ञान, सहनशक्ति और मानसिक अवस्था देखी जाती है।
द्वितीय भाव : यह भाव धन का होता है। इससे धन के अलावा व्यक्ति की दायीं आंख, पड़ोसी, कुटुंब, शिक्षा, खानपान और उसकी सच या झूठ बोलने की आदत के साथ ही वह मृदु या कटु भाषी होने का पता चलता है। यह कुंडली का मारक भाव भी है, इससे उस इंसान की मृत्यु का भी पता चलता है।
तृतीय भाव : इसे सहोदर भाव भी कहते हैं। इससे भार्इ-बहन के साथ ही खुद की ताकत, छुपे शत्रु, गले, कान और सांस से संबंधित बीमारियों के अलावा माता मृत्यु का पता चलता है।
चतुर्थ भाव : यह सुख का भाव होता है, जो जीवन में माता की स्थिति को दर्शाने के साथ ही ऐशो आराम को दर्शाता है।
पंचम भाव : इसे संतान भाव कहत हैं और नाम के अनुरूप ही यह संतान, बुद्धि, पढ़ार्इ, ननिहाल और हृदय रोग के बारे में बताता है।
सप्तम भाव : कुंडली का यह भाव जीवनसाथी या विवाह का भाव कहलाता है। इससे काम, वासना, प्रत्यक्ष शत्रु और पार्टनरशिप का विचार किया जाता है।
अष्टम भाव : यह भाव जातक की उम्र का होता है। इससे उसकी उम्र, अचानक मिलने वाला धन, विदेश यात्रा, जीवन में अचानक बदलाव या दुर्घटना का पता चलता है।
नवम भाव : कुंडली का यह भाव धर्म का होता है। इससे दुश्मन, कोर्ट केस, कर्ज, चिंता, बीमारी, अपयश और जीवन में आने वाले दुख का पता चलता है।
दशम भाव : यह भाव कर्म का होता है। इससे व्यक्ति के पिता, कारोबार, पद, अधिकार और उसके जीवन में राजयोग का पता चलता है।
एकादश भाव : यह भाव आय का होता है, जिससे मनोकामना की पूर्ति, बड़े भाई, आय, उपलब्धि और बहु के बारे में पता चलता है।
द्वादश भाव : कुंडली का यह भाव खर्चों का होता है। इसके अलावा इससे बायीं आंख, मोक्ष, अस्पताल में भर्ति होना की आशंका और नुकसान का पता चलता है।
अपराजिता श्रीवास्तव