खेलों के महाकुंभ का 32 वां संस्करण शुरू होने के लिए बस अब एक हफ्ता ही शेष रह गया है । इस बार का ओलंपिक जापान देश के टोक्यो में आयोजित हो रहा है। हालांकि 23 जुलाई से 8 अगस्त तक चलने वाला ओलंपिक अपने तय समय से 1 साल देरी से होने जा रहा है। कोरोना के प्रकोप के चलते इन खेलों को टालना पड़ा था। बता दें कि इस साल के टोक्यो ओलंपिक में दुनिया भर से 205 देश हिस्सा ले रहे हैं। वहीं इस आयोजन का हिस्सा बनने के लिए करीब 11 हजार एथलीट का जमावड़ा भी टोक्यो में लगने जा रहा है। कुछ समय पहले ही ओलंपिक में दिए जाने वाले मेडल्स की पहली झलक फैंस के साथ शेयर की गई थी। आज हम मेडल से जुड़े कुछ इंटरेस्टिंग फैक्ट्स भी आपसे शेयर करने जा रहे हैं।
1- टोक्यो ओलंपिक के विभिन्न खेलों में पदक विजेताओं को मेडल दिए जाने के लिए 5000 मेडल तैयार किए गए हैं।
2 – जापान की सरकार ने मेडल निर्माण के लिए एक टीम तैयार की थी जिसका काम मेडल बनाने के लिए जरूरी धातु को इकट्ठा करना था। इसके लिए प्रोजेक्ट शुरू किया गया था जिसका नाम टोक्यो 2020 मेडल प्रोजेक्ट रखा गया था।
3 – ओलंपिक के इतिहास में ये पहला मौका था जब मेडल तैयार करने के लिए आम जनता का सहयोग भी लिया गया था।
4 – इन ओलंपिक में पदकों को तैयार करने के लिए 2017 से 2019 के बीच में टोक्यो की म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने आम जनता से 78,985 टन इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स को इकट्ठा किया था। इन इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स में मोबाइल फोन भी शामिल थे।
5- एक आंकड़े के मुताबिक मेडल में योगदान देने के लिए जापान के लोगों ने 62 लाख मोबाइल फोन ओलंपिक समिति को दान दिए थे।
6 – 5000 मेडल को बनाने में 32 किलो सोना, 3500 किलो चांदी और 2200 किलो पीतल धातु का इस्तेमाल किया गया है।
7- सोने के मेडल पूरी तरह सोने के नहीं बने होते, गोल्ड मेडल के ऊपर केवल सोने का पानी ही चढ़ाया गया है।
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8- इन ओलंपिक में दिए जाने वाले गोल्ड मेडल का वजन 556 ग्राम है। इसमें से केवल 6 ग्राम गोल्ड का ही प्रयोग मेडल बनाने में किया गया है बाकी चांदी धातु का प्रयोग हुआ है।
9- वहीं सिल्वर मेडल का वजन 550 ग्राम है। ये मेडल 100 प्रतिशत चांदी धातु के बने होते हैं।
10- जबकि ब्रॉन्ज़ मेडल का वजन सबसे कम होता है। इनका वजन 450 ग्राम होता है। इनके निर्माण में 95 प्रतिशत कॉपर और 5 प्रतिशत जिंक धातु का इस्तेमाल होता है।
ऋषभ वर्मा