क्यों कम हुए पीओएस से भुगतान करने वाले, नोटबंदी के बाद बढ़ी थी डिमांड

देश में जब नोटबंदी हुई थी उस समय डिजिटल भुगतान को खूब तवज्जों दिया गया था। कंपनियों की ओर से अपने एप्लीकेशन शुरू किए गए तो बैंकों ने भी ऐप लांच किए। इस बीच दुकानों में पीओएस (प्वाइंट आफ सेल) से भुगतान करने पर जोर दिया जाने लगा। और मांग बढ़ने के चलते देश भर में कंंपनियों को इतने आर्डर मिले की लोगों को इस मशीन की डिलीवरी के लिए इंतजार करना पड़ा। लेकिन अब खबर मिल रही है कि नोटबंदी के तीन साल बाद फिर से इसकी मांग बेहद कम हो गई है। लोगों ने पीओएस से भुगतान करना कम कर दिया है। आइए जानते हैं इसका क्या प्रभाव पड़ा।

20 लाख से ज्यादा घटे पीओएस
जानकारी के मुताबिक मार्च 2021 के अंत तक कुल पीओएस टर्मिनल घटकर 47.2 लाख पर आ गई, जो जनवरी में 60.3 लाख पर थी। यह सबसे अधिक है। पीओएस पर ग्राहक क्रेडिट या डेबिट कार्ड से भुगतान करते हैं। वर्ल्डलाइन इंडिया की चालू कैलेंडर साल की पहली तिमाही जनवरी-मार्च की ‘डिजिटल भुगतान रिपोर्ट’ में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में परंपरागत भुगतान चैनल जैसे डेबिट और क्रेडिट कार्ड के अलावा भुगतान के नए तरीकों मसलन मोबाइल आधारित भुगतान, ई-वॉलेट आदि का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह आंकड़ा जगह जगह स्थापित पीओएस र्टिमनल की अधिक वास्तविक संख्या की झलक देने वाला लगता है।रिपोर्ट में कहा गया है कि पीओएस टर्मिनलों में निजी क्षेत्र के बैंकों का हिस्सा करीब 67 प्रतिशत है। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का हिस्सा 27 प्रतिशत, भुगतान बैंकों का पांच प्रतिशत और विदेशी बैंकों का एक प्रतिशत है।

ये बैंक हैं सबसे आगे
पीओएस लगाने में एचडीएफसी, भारतीय स्टेट बैंक, आरबीएल बैंक, आइसीआइसीआइ और एक्सिस बैंक सबसे आगे बताए जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक डिजिटल भुगतान का महत्व तेजी से बढ़ रहा है और सिर्फ पहली और दूसरी श्रेणी के शहरों ही नहीं बल्कि तीसरी श्रेणी के शहरों और उससे आगे भी ग्राहकों का डिजिटल भुगतान करने को लेकर भरोसा कर रहे हैं। हालांकि अभी डिजिटल भुगतान बढ़ने की वजह लोगों की आवाजाही पर अंकुश और पूर्णबंदी है। लेकिन डिजिटल भुगतान में पारदर्शिता, सुरक्षा के साथ-साथ इसके सुविधाजनक होने की वजह से आने वाले वर्षों में यह और लोकप्रिय होगा।

देश में इतने हैं क्रेडिट और डेबिट कार्ड
जानकारी के मुताबिक मार्च, 2021 तक देश में कुल 96.02 करोड़ कार्ड परिचालन में थे। इनमें डेबिट कार्ड 89.82 करोड़ और क्रेडिट कार्ड की 6.20 करोड़ थी। जानकारी के अनुसार पहली तिमाही में डिजिटल भुगतान 93.76 करोड़ रहा। मूल्य के हिसाब से देखा जाए तो यह 1,31,340 अरब रुपए रहा। मोबाइल आधारित भुगतान 8.32 अरब रहा। मूल्य के हिसाब से यह 31,980 अरब रुपए आंका गया है।

GB Singh

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