चीन की सेना अपनी सीमा सुरक्षा के प्रबंधन को बेहतर बना रही है , वह नए तरीके के उपकरण विकसित कर रही है जिनका इस्तेमाल हर तरह के मौसम में सीमा के क्षेत्रों में निगरानी के लिए किया जा सकेगा. इनमें उपग्रह पूर्व चेतावनी प्रणाली जैसे उपकरण भी शामिल हैं. सरकारी बीजिंग ईवनिंग न्यूज ने रविवार (9 अप्रैल) को अपनी खबर में बताया कि उपग्रह पूर्व चेतावनी निगरानी प्रणाली का ऐसे सीमांत इलाकों में इस्तेमाल करने की योजना है जहां पर विवाद है , या जहां प्रवेश और गश्त करना मुश्किल है.
इस खबर में बताया गया कि सीमा क्षेत्रों में निगरानी कैमरे का नेटवर्क भी विकसित किया जाएगा और निगरानी का दायरा बढ़ाया जाएगा ताकि उन स्थानों पर भी नजर रखी जा सके जो दुर्गम हैं. हालांकि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि यह चीन के सभी सीमांत क्षेत्रों के लिए है या चुनिंदा क्षेत्रों के लिए. भारत और चीन के बीच 3,488 किमी की वास्तविक नियंत्रण रेखा में अरुणाचल प्रदेश भी आता है जिसे चीन दक्षिण तिब्बत बताकर अपना दावा जताता है.
ग्लोबल टाइम्स ने सैन्य विशेषज्ञ सोन्ग झॉन्गपिंग को यह कहते हुए उद्धृत किया है कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी ( पीएलए ) की निगरानी व्यवस्था , सूचना प्रणाली , उपकरणों और वाहनों की मदद से सुरक्षा को किसी भी प्रकार का खतरा होने पर पूर्व चेतावनी मिल सकेगी. सोन्ग ने कहा कि पीएलए को अपने उपकरणों का स्वचालन स्तर बढ़ाना होगा. इसमें गश्त तथा मानवरहित निगरानी प्रणाली स्थापित करने के लिए ड्रोन और निगरानी रखने वाले वाहन ( ट्रेकिंग वेहिकल ) शामिल हैं. इसका मतलब होगा कि सीमा का क्षेत्र निरंतर निगरानी और नियंत्रण में रहेगा.
चीन की लंबी सीमाओं पर भिन्न भौगोलिक वातावरण को देखते हुए पीएलए ने ऐसे उपकरण विकसित किए हैं जिनका इस्तेमाल जल, वायु और भूमि पर हो सकता है. सीमा पर निगरानी की नई प्रणाली के बारे में जानकारी देते हुए ग्लोबल टाइम्स ने लद्दाख की पांगोंग झील का भी जिक्र किया जहां पिछले वर्ष भारतीय क्षेत्र में चीन के सैनिकों के आने के प्रयासों को नाकाम करने के दौरान भारत और चीनी सैनिकों के बीच धक्का मुक्की हुई थी.
पीएलए ने वहां नई गश्ती नौका तैनात की है जो गैर – धातु सामग्री से बनी है. यह नौका 17 सशस्त्र सैनिकों को लेकर 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है. इसे दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत में सीमा सुरक्षा रेजीमेंट में तैनात किया गया है. इस प्रांत की सीमा तीन देशों से मिलती है.
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