भारतीय जनता पार्टी योगी आदित्यनाथ को लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी में हैं। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद 37 वर्ष बाद प्रदेश में किसी एक दल की सरकार की लगातार दूसरी बार ताजपोशी होगी।
लोकभवन में भाजपा तथा सहयोगी दल के विधायक एकत्र हो रहे हैं। यह लोग शपथ ग्रहण समारोह के लिए अपने पास एकत्र करने के साथ लोकभवन में विधायक दल की बैठक की तैयारी कर रहे हैं। लोकभवन में सीएम योगी आदित्यनाथ को भाजपा विधानमंडल दल का नेता चुना जाएगा। वरिष्ठ नेता सुरेश खन्ना विधानमंडल दल के समक्ष उनके नाम का प्रस्ताव लाएंगे। सुरेश खन्ना और चार अन्य मंत्रियों को यह जिम्मेदारी दी गई है। विधायक दल की बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ को सर्वसम्मति से भाजपा विधायक दल का नेता चुना जाएगा। उनके नाम के प्रस्तावक की प्रक्रिया में 15 वरिष्ठ विधायक शामिल होंगे। उनके नाम का प्रस्ताव आने के बाद सर्वसम्मति से चयन होगा। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ के नेता चुने जाने की प्रक्रिया होगी। इस प्रक्रिया के बाद गृहमंत्री अमित शाह का संक्षिप्त भाषण भी होगा। प्रस्ताव और दस्तखत के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करने के साथ राज्यपाल को नेता बनाए जाने का पत्र सौंपेंगे।
भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद योगी आदित्यनाथ शाम को करीब पांच बजे राजभवन जाकर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष 273 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। उत्तर प्रदेश में भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व के पर्यवेक्षक अमित शाह, सह पर्यवेक्षक रघुवर दास तथा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान की मौजूदगी में लोकभवन में भाजपा विधायक दल की बैठक में भाजपा के 255, अपना दल (एस) के 12 तथा निषाद पार्टी के छह विधायक भी रहेंगे।
उत्तर प्रदेश में 37 वर्ष बाद सत्ता में वापसी का इतिहास रचने वाले योगी आदित्यनाथ के ही हाथ में दोबारा सत्ता की कमान होगी। विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी के चेहरे पर लड़ा गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई बार चुनावी मंचों से ‘आएंगे तो योगी ही’ और ‘योगी ही उपयोगी’ जैसा नारा देकर स्पष्ट संदेश दे चुके थे कि भाजपा दोबारा सरकार बनाती है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही होंगे। संगठन की शक्ति और अमित शाह की रणनीति के साथ मोदी-योगी की जोड़ी ने विपक्षी मंसूबों को ढेर कर अकेले 255 व गठबंधन सहयोगियों के साथ 273 सीटें जीत लीं। ऐसा प्रदेश की राजनीति में 37 वर्ष बाद हो रहा है कि पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद किसी दल की सरकार फिर पूर्ण बहुमत के साथ बन रही है।