कोरोना वायरस में अनलॉक गाइडलाइन के चलते अभी भी कई लोगों के ऑफिस घर से चल रहे हैं. बच्चों के स्कूल अभी भी बंद है. तो ऐसे में अब भी सब कुछ हमें घर से ही करना पड़ रहा है. ये समय अपनों की सुरक्षा का है, वो भी प्यार के साथ और हंसी-ख़ुशी से. परिवार के सभी सदस्यों को एक दूसरे के साथ समय बिताने का मौका मिल रहा है. तो क्यों का हम अपने दादा-दादी को अपने खेल में शामिल करें.
बच्चों के खेल बदल गए हैं, लेकिन जिनके बच्चे हैं अब मौका है कि वो अपने बचपन के दिन याद करें. लॉकडाउन में उन सभी खेलों को आप अपने से बड़े और छोटे बच्चों के साथ खेल फन टाइम बिताएं. तो आइए जानते हैं आपकी लिस्ट में ये गेम्स हैं के नहीं-
डम्ब शेरेड्स- ये गेम सिर्फ फन-लविंग लोगों के लिए बना है. इसमें हर जनरेशन के लोग खेल सकते हैं. एक टीम दूसरे को काम में फिल्म का नाम दें और उसको अपनी टीम मेम्बर को बिना बोले इशारों से समझाना होता है. ऐसा ही दूसरी टीम को भी करना होता है. ये सबसे बेस्ट फॅमिली गेम हैं.
अन्ताक्षरी- ये गेम भी फैमिली गेम है. ये गेम किसे नहीं पता होगा. तो आप भी अपने परिवार के साथ ये गेम खेल सकते है. इस गेम में कभी नहीं गुनगुनाने वाली दादी भी गाना गाएंगी. और गुस्से वाले पापा भी जब इस गेम को खेलेंगे तो गुस्सा भूल जाएंगे.
तंबोला- इस गेम को हाऊज़ी भी कहते हैं. इसमें एक मेम्बर नंबर बोलेगा और बाकी को पर्ची मिलेगी जिसमें कुछ नंबर होंगे. तो आपको सिर्फ बोले हुए नंबर कट करने हैं जिसका पहले हो गया वो विनर. सादा-सुंदर गेम है ये. इसमें आप अपने परिवार के साथ मजे कर सकते हैं.
जीरो क्रॉस- यह खेल दो लोगों का है. इसमें एक कागज पर या पट्टी पर 9 खाने बनाए जाते हैं. किसी भी खाने में पहला खिलाड़ी जीरो लिखेगा तो दूसरे को क्रॉस लिखना होगा. इस तरह जिसका डिजिट या चिन्ह एक ही सीध में होगा वह जीत जाएगा.
शतरंज- दुनियाभर में शतरंज को दिमाग वालों का खेल माना जाता है. शतरंज का आविष्कार रावण की पत्नी मंदोदरी ने किया था. ‘अमरकोश’ के अनुसार इसका प्राचीन नाम ‘चतुरंगिनी’ था जिसका अर्थ 4 अंगों वाली सेना था. गुप्त काल में इस खेल का बहुत प्रचलन था. पहले इस खेल का नाम चतुरंग था लेकिन 6ठी शताब्दी में फारसियों के प्रभाव के चलते इसे शतरंज कहा जाने लगा. यह खेल ईरानियों के माध्यम से यूरोप में पहुंचा तो इसे चैस कहा जाने लगा.
ताश के खेल- ताश के कई खेल होते हैं. यह आज भी लोकप्रिय है. इससे रमी, तीन पत्ती, रंग मिलाना आदि कई गेम होते हैं. यह भारत के प्राचीन काल के खेल गंजिफा का एक रूप है. गरीब लोग कागज या कंजी लगे कड़क कपड़े के कार्ड भी प्रयोग करते थे. सामर्थ्यवान लोग हाथी दांत, कछुए की हड्डी अथवा सीप के कार्ड प्रयोग करते थे. उस समय इस खेल में लगभग 12 कार्ड होते थे जिन पर पौराणिक चित्र बने होते थे. लेकिन अब इसमें 52 पत्ते होते हैं. ये भी फॅमिली गेम है. इसमें सब मिलकर खेल सकते हैं.
नाम, वस्तु, शहर, फिल्म- यह खेल एक तरह से बच्चों की जानकारी और याद्दाश्त का पता लगाता है. लेकिन कभी कभी इसको अपने बड़ों के साथ भी खेलना चाहिए. इस गेम में एक कागज पर नाम, वस्तु, शहर और फिल्म के कॉलम बना कर उनमें किसी अल्फाबेट पर नाम, वस्तु, शहर और फिल्म के नाम लिखना होते थे. सबसे यूनिक नाम बताने वाले खिलाड़ी जीत जाते थे.
तो आप भी आज डिनर टाइम के बाद इस गेम को सबके साथ खेले और मोबाइल से थोड़ा फासला बना लें. ये टाइम आपको हमेशा याद रहेगा.
By- कविता सक्सेना श्रीवास्तव