हमारे देश में हर मौसम और महीने में त्योहार होते हैं। धर्म और जातियों के बीच उन त्योहारों की अलग-अलग तरह से मनाने की परंपरा है। ऐेसे में भारत में विविधता यहां के लोगों को और अधिक उत्साहित कर देती है किसी भी त्योहार को लेकर। अब लोहड़ी में एक तरफ धूम मचती है पंजाब में तो दूसरी तरफ पूरब में मकर संक्रांति पर अलग ही रौनक दिखती है। इसी तरह महाराष्ट्र और गुजरात से लेकर दक्षिण में भी इस त्योहार की अलग-अलग खासियत दिखती है। आइए जानते हैं लोहड़ी त्योहार में कैसे झूम उठता है पंजाब।
लोहड़ी की खासियत
लोहड़ी का त्योहार 13 जनवरी को मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल पौष माह में कृष्ण एकादशी को मनाया जाता है। यह त्योहार वैसे तो पंजाब में धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन इसको मनाने में पूरा भारत आगे है। जहां-जहां पंजाबी रहते हैं वहां-वहां यह त्योहार अच्छे से मनाते हैं। यह किसानों के लिए खास है और इस त्योहार के साथ ही नई फसल के आगमन की तैयारी भी शुरू हो जाती है जिसमें गेहूं और सरसो खास है। इस दिन पंजाब में लोग गीत गाते हैं और भांगड़ा करते हैं। आग जलाकर उसमें गेहूं की बालियां जलाते हैं और उसमें लाला डालते हैं।
कैसे मनाते हैं त्योहार
लोग लोहड़ी के त्योहार में काफी खुशी मनाते हैं। कहते हैं पंजाब के गांवों में अलग-अलग परंपरा भी इससे जुड़ी हुई है। लोग नाचते हैं और गाना गाते हैं। गुड़, तिल, गजक, रेवड़ी बांटते हैं। इस पर्व को दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाने के लिए भी काफी जाना जाता है। इसमें लोग आग को घेरकर नाचते हैं और कहानी सुनाते हैं। इस कहानी के पीछे भी एक सत्य घटना है। बताते हैं कि मुगल शासन के समय में दुल्ला भट्टी नाम के शख्स ने वहां की लड़कियों को बेचने से बचाया था और उनकी शादी करवाई थी। तभी से यह कहानी प्रचलित है। इस दिन तमाम शुभ काम करना भी अच्छा मानते हैं।
GB Singh
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