नई दिल्ली। पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क में पिछले दिनों की गई कटौती से चालू वित्त वर्ष के आखिरी पांच महीनों (नवंबर, 2021-मार्च, 2022) में सरकार की राजस्व वसूली में 60,000 करोड़ की कमी आ सकती है। लेकिन इससे सरकार के राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी की कोई आशंका नहीं है। वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के मुताबिक जीडीपी का 6.8 प्रतिशत ही रहने का अनुमान लगाया है।
मंत्रालय का मानना है कि सरकार की राजस्व वसूली बजट अनुमान से काफी अधिक चल रही है और बीपीसीएल एवं एलआइसी के विनिवेश से भी सरकार को अच्छी रकम मिलने का अनुमान है। मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक पेट्रोल व डीजल के साथ खाद्य तेल के आयात शुल्क में कटौती से भी सरकार की राजस्व वसूली में 20,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी। इन सबके बावजूद सरकार को कोई अतिरिक्त उधारी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सरकार पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क से इस वर्ष अप्रैल-सितंबर में ही 1.71 लाख करोड़ रुपये की वसूली कर चुकी है जो पिछले वर्ष समान अवधि के मुकाबले 33 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के मुकाबले 79 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार को पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क से 3.89 लाख करोड़ रुपये का राजस्व आया।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक मनरेगा, खाद्य सब्सिडी, निर्यात प्रोत्साहन स्कीम व अन्य प्रकार की सब्सिडी की वजह से सरकार पर चालू वित्त वर्ष में दो लाख करोड़ रुपये का भार आ सकता है। हालांकि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में प्रत्यक्ष कर की वसूली पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 47 प्रतिशत अधिक रही। वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में 5.30 लाख करोड़ की जीएसटी वसूली का लक्ष्य रखा है। पहली छमाही में इस मद में 2.66 लाख करोड़ की वसूली हो चुकी है।
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