LPG यूज करते समय बरतें ये सावधानियां, वरना इस मां की तरह पछता सकते है आप..

LPG यूज करते समय बरतें ये सावधानियां, वरना इस मां की तरह पछता सकते है आप..

हर घर में एलपीजी यूज होती है, लेकिन इसे लेकर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो इस मां की तरह पछताएंगे आप। LPG यूज करते समय बरतें ये सावधानियां, वरना इस मां की तरह पछता सकते है आप..

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सुरक्षा पाइप में 5 तरह की परतें होती हैं जो कि इसे सुरक्षित बनाती है। इसलिए इसे सुरक्षा पाइप कहते हैं। इसके साथ-साथ हमेशा चूल्हे को ऊपर रखे और गैस सिलेंडर नीचे रखा होना चाहिए। गैस सिलेंडर के आसपास कोई भी ज्वलनशील पदार्थ या फिर बिजली के उपकरण नहीं होने चाहिए।

एजेंसी ने बताया कि रेगुलेटर को लेकर भी अकसर लोग सावधानी नहीं बरते हैं। रेगुलेटर उसी कंपनी को होना चाहिए जिस कंपनी का सिलेंडर होता है। कंपनी सिलेंडर के मुताबिक ही रेगुलेटर का निर्माण करती है। उन्होंने बताया कि आईएसआई मार्क के चूल्हे का ही इस्तेमाल करना चाहिए और समय-समय पर चूल्हे की सर्विस करवाते रहना चाहिए।

बता दें कि कुरुक्षेत्र के दयालपुर में वीरवार को एक सिलेंडर ने चार भाई बहनों की जान ले ली, वहीं मां बाल बाल बच गईं। सिलेंडर में लगी आग में झुलसने से मरे बच्चों में 3 लड़कियां और एक लड़का था। एक लड़की की वीरवार को ही मौत हो गई थी। वहीं बाकी घायलों ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया। उसके बाद पूरे दयालपुर में कोहराम मच गया।

ऐसे हुआ था हादसा
दयालपुर निवासी रेशो देवी का पति कुवैत में रहता है। रेशो देवी बच्चों के साथ यहां रहती है। हर रोज की तरह वह सवेरे चाय नाश्ता बनाने के लिए रसोई में गई। उसे सिलेंडर लीक होने की दुर्गंध आई तो वह देखने के लिए आगे बढ़ी ही थी कि उसमें आग लग गई। रेशो देवी ने यह देखते ही सिलेंडर उठाकर रसोई से बाहर फेंक दिया, लेकिन आग भड़क गई।
आग इतनी भड़की कि कमरे को चपेट में ले लिया और वहां सो रहे उसके चारों बच्चे बुरी तरह झुलस गए। चीखने चिल्लाने की आवाजें सुनकर लोग दौड़े आए। एक युवक ने सिलेंडर उठाकर खेत में फेंक दिया। वहीं बुरी तरह से झुलसी रेशो देवी और उसके बच्चों को अस्पताल पहुंचाया। वहां इलाज के दौरान एक बच्ची की मौत हो गई। शुक्रवार को बाकी तीन बच्चों ने भी दम तोड़ दिया।

 
रेशो देवी ने बच्चों को बचाने को सिलेंडर बाहर फेंका था
पुलिस को दिए बयान में रेशो देवी ने बताया कि उसने बच्चों को बचाने के लिए ही अपनी जान जोखिम में डाली थी। उसने सिलेंडर उठाकर बाहर फेंक दिया, लेकिन वह खुद झुलस गई थी। पर उसे नहीं पता था कि आग भड़क कर कमरे को चपेट में ले लेगी। रेशो देवी रो रोकर बेहाल है और बार बार यही कह रही है कि अच्छा होता कि वह सिलेंडर बाहर न फेंकती। बच्चे तो बच जाते।
एक पुत्र और तीन बेटियों में दो जुड़वां बहनें
हादसे में रेशो देवी की 17 वर्षीया दो जुड़वां बेटियां रीना और मीना की जान चली गई। वहीं छोटी 11 वर्षीया पुत्री रजनी और 13 वर्षीय पुत्र गौरव की भी मौत हो गई। रीना 11वीं कक्षा की छात्रा थी, जबकि उसकी जुड़वा बहन मीना 12वीं में पढ़ती थी। सबसे छोटी रजनी छठी कक्षा और बेटा गौरव सातवीं कक्षा में पढ़ रहे ​थे।
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