लखनऊ: सीधे-साधे लोगों को मदद के नाम पर उनके एटीएम कार्ड का क्लोन बनाकर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले साइबर जालसाजों को साइबर क्राइम सेल की टीम ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने अब तक कितनों लोगों को ठग, इस बात का अंदाजा खुद उनको भी नहीं है। आरोपियों के पास से 22 ब्लैंक एटीएम, 18 क्लोन एटीएम, लैपटाप, स्कीमर मशीर, कार्ड राइटर, स्वाइप मशीन, 15 हजार रुपये और दो कार मिली है।
एसपी पूर्वी सर्वेश कुमार मिश्र ने बताया कि साइबर क्राइम सेल की टीम एटीएम कार्ड क्लानिंग के मामले में काफी समय से छानबीन कर रही थी। साइबर क्राइम सेल की टीम को अपनी छानबीन में राजधानी में एक्टिव साइबर जालसाजों के बारे में अहम जानकारी मिली। इस छानबीन के दौरान साइबर सेल ने मंगलवार की दोपहर हजरतगंज स्थित एसबीआई हेड आफिस के पास से चार जालसाजों को उस वक्त धर-दबोचा, जब वह लोग अपने शिकार की तलाश में लगे थे।
पुलिस को उनके पास से 22 ब्लैंक एटीएम, 18 क्लोन एटीएम, लैपटाप, स्कीमर मशीर, कार्ड राइटर, स्वाइप मशीन, 15 हजार रुपये और दो कार मिली है। पूछताछ की गयी तो पकड़े गये आरोपियों ने अपना नाम गोण्डा निवासी अनिल कुमार वर्मा, शुभम पाण्डेय, सीतापुर निवासी अमित सिंह और हसनगंज निवासी हसन शाह बताया। इस गैंग का लीडर अनिल कुमार वर्मा है।
उसने इंट्रीग्रल यूनिवर्सिटी से बीसए की पढ़ाई कर रखी है। वहीं आरोपी शुभम ने दिल्ली के प्रसिद्घ ङ्क्षहदू कालेज से कम्यूटर सांइस में बीएसी की है, जबकि आरोपी अमित सिंह बीटीसी है और हसन शाह की डालीगंज इलाके में कपड़े की दुकान है। एसपी पूर्वी सर्वेश कुमार मिश्र ने बताया कि इस गैंग ने अब तक करोड़ों रुपये की ठगी को अंजाम दिया है। पूछताछ और छानबीन में पुलिस को इस बात का पता चला है कि आरोपियों ने हसनगंज इलाके में तीन और महानगर इलाके में 11 घटनाओं को अंजाम देने की बात कुबूली है।
इस तरह करते थे ठगी
एसपी पूर्वी ने बताया कि पकड़े गये जालसाज सबसे पहले भीड़-भाड़ वाला एटीएम मशीन चिन्हित करते थे। इसके बाद वह लोग कम पढ़े-लिखे और खासकर महिलाओं को टारगेट करते थे। एटीएम मशीन में अंदर इस तरह के लोगों को बहला-फुसला कर और झांसे में लेकर मदद के नाम पर उनका एटीएम कार्ड हासिल कर लेते थे। एसटीएम कार्ड साफ करने के बहाने से स्कीमर मशीन की मदद से आरोपी पीडि़त के एटीएम कार्ड का डाटा स्कीमर मशीन में हासिल कर लेते थे। इसके बाद आरोपी उसी डाटा को ब्लैक एटीएम कार्ड को कार्ड राइटर की मदद से स्कैन कर क्लोन एटीएम कार्ड बना लेते थे। बस क्लोन एटीएम कार्ड तैयार होने से आरोपी पीडि़त के खाते से रुपये निकालना शुरू कर देते थे।
ठगी की रकम से प्लाट, गाड़ी और शेयर मार्केट में कर रहा है इंवेस्टमेंट
ठगों के इस गैंग का लीडर अनिल कुमार है। पूछताछ में पुलिस को इस बात का पता चला है कि अनिल ने ठगी की रकम से गोण्डा जनपद में एक प्लाट खरीदा है। वहीं हाल में ही शराब दुकानों के आवंटन में भी उसने आवेदन किया था और उसको वजीरगंज इलाके में एक बियर की शाप आवंटित हुई है। इस काम के लिए भी उसने ठगी की ही रकम लगायी थी। वहीं आरोपी ने गुजरात के एक ब्रोकर की मदद से लाखों रुपये शेयर मार्केट में भी लगा रखे हैं। इसके अलाव बाकी आरोपियों ने भी ठगी के इस धंधे से मोटी रकम अर्जित की है। अब पुलिस आरोपियों के बैंक खातों को खंगाले की बात कह रही है और ठगी से अर्जित की गयी सम्पति को भी जब्त करने की कार्रवाई की बात एसपी पूर्वी ने कही है।
यूपी ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी की है ठगी
सीओ हजरतगंज ने बताया कि अभी तक की गयी छानबीन में पकड़े गये जालसाजों ने लखनऊ, कुशीनगर, महाराजगंज, रायबरेली, बस्ती, देवरिया, गोरखपुर, हापुड़, मेरठ, फैजाबाद, फतेहपुर, खीरी, सीतापुर के अलावा दिल्ली, बिहार और राजस्थान में भी ठगी की घटनाओं को अंजाम देने की बात बतायी है।
बैंक आफ बड़ौदा के एक कर्मचारी का नाम आया सामने
क्लोन एटीएम कार्ड तैयार करने के लिए एक ऐसे एटीएम कार्ड की आवश्यकता पड़ती है जो खराब होता है। इसी खराब एटीएम कार्ड पर जालसाज चोरी किया गया एटीएम कार्ड का डाटा मैगनेटिक स्ट्रीप की मदद से लगाकर क्लोन एटीएम कार्ड बनाते हैं। पुलिस का दावा है कि जालसाजों ने बैंक आफ बड़ौदा के एक कर्मचारी के बारे में बताया है जो इन लोगों को खराब एटीएम कार्ड 50 रुपये के हिसाब से बेचता था। अब पुलिस उसके बारे में पता लगा रही है और पुलिस का कहना है कि जल्द ही उसको भी गिरफ्तार कर लिया जायेगा।
तीन साल से कर रहे है ठगी
गैंग लीडर अनिल कुमार वर्मा ठगी का यह धंधा तीन साल से आपरेट कर रहा था। वर्ष 2015 में वह इस तरह की ठगी के मामले में गोण्डा से जेल गया था। इसके बाद वहां से जमानत पर रिहा होने के बाद आरोपी ने फिर से ठगी का धंधा शुरू कर दिया था।
कितने लोगों को ठगा खुद आरोपियोंं को पता नहीं
पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि पकड़े गये जालसाजों ने अब तक कितने लोगों को अपना शिकार बनाया, यह बात खुद उनको भी नहीं पता है। इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ठगी के शिकार हुए लोगोंं की संख्या सैकड़ों में हो सकती है और ठगी की रकम की संख्या करोड़ो मेें है।
टीम ने यह पुलिसकर्मी रहे शामिल
जालसाजों को पकडऩे में इंस्पेक्टर हजरतगंज आनंद कुमार शाही, इंस्पेक्टर साइबर क्राइम सेल अरूण कुमार सिंह, इंस्पेक्टर विजयवीर सिंह सिरोही, दारोगा राहुल सोनकर, राहुल सिंह राठौर, कांस्टेबिल फिरोज बदर, अखिलेश कुमार, मोहम्मद शरीफ खान, संतोष गौतम और बृजेश ने अहम भूमिका अदा की।
इन सावधानियों को बरते तो बच सकते हैं ठगी से
1-एटीएम इस्तेमाल करते वक्त बूथ के अंदर किसी अजनबी को न आने दें।
2- एटीएम मशीन के अंदर मददगारों से रहे होशियार।
3- अनजान जगहों पर एटीएम स्वेप करने से बचें।
4- किसी भी हाल में किसी दूसरे को अपना एटीएम कार्ड न दें।