मध्यप्रदेश में शहरी (नगर निगम) क्षेत्रों में आने वाली सड़कों का अब मालिकाना हक बदलेगा। सरकारी रिकॉर्ड में लोक निर्माण विभाग के नाम पर दर्ज एक हजार तीन सौ किलोमीटर से ज्यादा लंबाई की 496 सड़कें नगर निगमों की होंगी।
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इन्हें बनाने से लेकर रखरखाव करने का जिम्मा भी निकायों का होगा। विभाग ने सभी मुख्य अभियंताओं को नगर निगमों को सड़कें सौंपने के आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं, नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इन सड़कों के लिए वित्त विभाग से अतिरिक्त बजट मांगा है, क्योंकि कई सड़कों की स्थिति बेहद खराब है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने सड़कें जैसी स्थिति में हैं, उसमें ही निकायों को सौंपने का फैसला किया है। दरअसल, शहर की सड़क एक निर्माण एजेंसी को सौंपने की कोशिश पिछले दो-तीन साल से चल रही है, लेकिन सहमति नहीं बन पाने से मामला ठंडे बस्ते में था।
जून में मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने लोक निर्माण, नगरीय विकास सहित अन्य एजेंसियों के अधिकारियों को बुलाकर ये फैसला कर दिया कि नगरीय क्षेत्रों में लोक निर्माण विभाग अपनी सड़कें नगर निगमों को सौंप देगा।
दो दिन पहले विभाग ने इसके आदेश भी जारी कर दिए। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नगरीय विकास विभाग को 13 सौ किलोमीटर लंबाई की सड़कों की सूची सौंप दी है। साथ ही मुख्य अभियंता और कार्यपालन अभियंताओं को सड़कें निकायों को सौंपने की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं।
इसके तहत सरकारी रिकॉर्ड में लोक निर्माण विभाग के नाम पर दर्ज सड़कें नगर निगम के नाम पर हो जाएंगी। नगरीय विकास आयुक्त विवेक अग्रवाल ने भी नगर निगम आयुक्त और मुख्य नगर पालिका अधिकारियों के सड़कें अपने रिकॉर्ड में लेने के लिए कहा है। इन सड़कों के रखरखाव के लिए वित्त विभाग से अलग से बजट भी मांगा है।
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