महेश्वरी समाज की उत्पत्ति ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुई थी। इसी वजह से इसे महेश नवमी के रूप में जाना जाता है। इस दिन महेश्वरी समाज के लोग विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और उत्सव मनाते हैं। इस साल यह पर्व 19 जून शनिवार के दिन मनाया जाएगा।
18 जून की रात से लग जाएगी नवमी तिथि
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की नवमी 18 जून को रात 8.35 बजे से आरंभ हो जाएगी और यह 19 जून को सायं 6.45 बजे तक रहेगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महेश्वरी समाज की उत्पत्ति युधिष्ठर संवत 9 के ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की नवमी को हुई थी। इसलिए महेश्वरी समाज इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाता।
जानें महेश्वरी समाज की उत्पत्ति की रोचक कथा
महेश्वरी समाज की उत्पत्ति की सबसे प्रचलित कथा के अनुसार, प्राचीन समय में खंडालसेन नाम के एक राजा थे। राजा प्रजा के रक्षक और धर्म कार्यों में लगे रहते थे, मगर राजा के कोई संतान नहीं थी। इस कारण वह अक्सर चिंता में डूबे रहते थे। एक बार गुरुजनों के परामर्श पर उन्होंने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से कामेष्टि यज्ञ करवाया। सही समय आने पर उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिसका नाम उन्होंने सुजानसेन रखा। आगे चलकर उनका पुत्र राज्य का राजा भी बना।
पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन राजा अपने कुछ साथियों और सैनिकों के साथ शिकार पर निकले। घने जंगल में शिकार के लिए पहुंचे राजा कार्यकलापों के वहां यज्ञ कर रहे ऋषियों की पूजा में बाधा उत्पन्न हुई और उन्होंने राजा समेत उनके सभी साथियों को पत्थर का बन जाने का श्राप दे दिया। यह बात जब रानी को पता चली तो उन्होंने ऋषियों से श्राप का हल पूछा तो उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती का तप करने की सलाह दी। महादेव के वरदान से राज और उनके सभी साथी श्राप से मुक्त हो गए। उनकी पूजा से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें अपने नाम से समाज बनाने का आर्शीवाद दिया। यह दिन ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का था। तब इस दिन को महेश्वरी की समाज की उत्पत्ति के रूप में मनाया जाता है।
भगवान शिव व माता पर्वती की पूजा का विशेष महत्व
महादेव और माता पार्वती के वरदान स्वरूप महेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इस दिन इनकी पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती के मंदिरों में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है। नवविवाहित जोड़े लंबे और सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की अराधना करते हैं।
महेश नवमी पूजा विधि
इस दिन भगवान शिव का अभिषेक और पूजा करने का विधान है। पूजा में उनकी सभी प्रिय वस्तुएं जैसे- बेलपत्र, भांग, धतूरा, गंगाजल और पुष्प आदि चढ़ाए जाते हैं। आज के दिन सुहागिन स्त्रियां माता पार्वती पूजा करती हैं और उन्हें सुहाग से जुड़ी चीजें अर्पित करती हैं। इस दिन महेश्वरी समाज के लोग शिवालयों में धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यों का आयोजन करते हैं।
अपराजिता श्रीवास्तव