मंगल ग्रह लाल ग्रह कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य के मुख्य मंडल से यह सुना होगा कि कुंडली में जातक के मंगल दोष है और इस मंगल दोष को दूर करने के लिए उपाय भी बताते हैं। मंगल दोष होने से कई सारी समस्याएं सामने आने लगती है। जाटों को कई सारी परेशानियों से जूझना पड़ता है कुंडली में मांगलिक दोष होने से शादी विवाह में अड़चन आती है। अगर वह मांगलिक है तो वधू भी मांगलिक ही होना चाहिए। मंगल दोष अगर दूर किया गया हो तो इसके नतीजे भी भयानक ही आते हैं। इससे पहले हम सब को यह जानना बेहद जरूरी होता है कि आखिर कौन सी वह स्थिति होती है जिसके कारण मंगल दोष जैसे स्थिति बन जाती हैं ऐसे में मंगल क्यों पापी बन जाते हैं। इसे भी जानना बेहद जरूरी है।
मंगल दोष कौन सी वह राशियां है जिनके सापेक्ष में आने पर मंगल का प्रभाव या दोष नहीं पड़ता। मंगल अगर मेष वृश्चिक मकर और कर्क राशि में विराजित है और यह राशि कुंडली के चतुर्थ या सप्तम भाव में स्थित है तो मंगल का दोष नहीं लगता।
इन चारों राशियों में मंगल ग्रह की स्थिति प्रथम द्वितीय चतुर्थ अष्टम साथी द्वादश भाव में मंगल स्थित हो तो इसका भी दोष नहीं लगता।
वही बुध या बृहस्पति के साथ मंगल प्रथम द्वितीय चतुर्थ अष्टम और द्वादश भाव में मंगल स्थित है तो इसका दोष नहीं लगता।
वहीं अगर दतिया भाव में मेष वृषभ मिथुन और कन्या राशि में मंगल स्थित हो तो इसका भी दोष नहीं लगता।
मंगल ग्रह शुक्र की राशि तू लाया ब्रश या अपनी स्वयं की राशि मेष या वृश्चिक में से होते हुए चतुर्थ भाव में अगर यह स्थित हो तो उसका दोष नहीं लगता।
किस भाव में मंगल अगर कुंडली में स्थित है तो उसका दोष लगता है इसे भी जानना आपके और हमारे लिए अति आवश्यक है।
मंगल ग्रह अगर सप्तम भाव में स्थित है तो इसका दोष लगता है अंकिता मंगल पापी हो जाता है। वहीं अगर मंगल सप्तम भाव में मेष राशि कर्क और मकर राशि में स्थित हो तो यह पापी नहीं होता।
बात मंगल के दोष की हो रही है कि कुंडली के किस भाव में अगर मंगल स्थित हो तो उसका दोष नहीं लगता यह लगता है।
द्वादश भाव में बुध या शुक्र की राशि स्थित हो तो तब भी मंगल का दोष कुंडली में जातक के ऊपर नहीं लगता। बता दें कि मिथुन कन्या बुध की राशि और वृष और तुला शुक्र की राशियां होती है।