मुंबई ।भिंडी बाजार के हुसैनी इमारत हादसे से सबक सीखते हुए राज्य सरकार ने खतरनाक इमारतों के पुनर्विकास के लिए समय सीमा तय करने का फैसला किया है। अब बिल्डरों के लिए ढाई से तीन सालों में इमारत का पुनर्निर्माण जरूरी कर दिया जाएगा। इसके लिए सरकार कानून में जरूरी सुधार करेगी।

– खतरनाक इमारतों के मालिक जल्दी इसके पुनर्निर्माण की इजाजत नहीं देते। इस परेशानी को दूर करने के लिए कानून में सुधार किया जाएगा। अगर मालिक ने 90 दिनों के भीतर पुनर्विकास की मंजूरी नहीं दी तो म्हाडा इमारत को अपने कब्जे में लेकर आगे की कार्यवाही शुरू कर देगी।
– गृहनिर्माण मंत्री प्रकाश मेहता ने कहा कि म्हाडा विज्ञापन के जरिए बिल्डरों से पुनर्विकास से जुड़ा प्रस्ताव मंगवा कर निर्माण कार्य कराएगी। हुसैनी इमारत हादसे के बाद गृहनिर्माण विभाग सक्रिय हो गया है।
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– शुक्रवार को मेहता ने गृहनिर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय कुमार और म्हाडा के व्यवस्थापकीय संचालक मिलिंद म्हैस्कर के साथ खतरनाक इमारतों के पुनर्निर्माण से जुड़ी चर्चा की।
– इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से कहा कि खतरनाक घोषित की गई इमारतों के पुनर्विकास ढाई से तीन साल में करने से जुड़ा एक प्रस्ताव आठ दिन में तैयार किया जाए जिसे मुख्यमंत्री के सामने पेश किया जाएगा। मेहता ने बताया कि लोगों को भरोसा नहीं होता कि घर खाली करने के बाद उन्हें निश्चित समय में दोबारा घर मिल जाएगा।
– लोगों को भरोसा दिलाना जरूरी है। अधिकारियों को पुनर्विकास से जुड़ी नीति स्पष्ट करने से जुड़ा प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है।
दो हजार जर्जर इमारतें
– मुंबई शहर और उपनगरों में जर्जर इमारतों की संख्या करीब दो हजार है। मेहता ने बताया कि सिर्फ भिंडी बाजार में ही 250 से ज्यादा इमारतें ऐसी हैं, जो 80 साल से ज्यादा पुरानी हैं।
– इन इमारतों में चार हजार 221 परिवार रहते हैं। इनमें से 23 इमारतें खतरनाक हैं जिनमें से एक हजार 800 परिवारों को बाहर निकाला गया है।
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