लखनऊ: उत्तर प्रदेश के आगरा, मेरठ और कानपुर में मेट्रो रेल दौड़ाने के प्रस्तावों को बुधवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। करीब 45 हजार करोड़ रुपये की इन परियोजनाओं को वर्ष 2024 तक पूरा किया जाएगा। इससे इन शहरों में ट्रैफिक जाम की समस्या से काफी हद तक निजात मिल जाएगी।
कैबिनेट की बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार की योजना के तहत मेट्रो रेल का निर्माण किया जाएगा। इसमें केंद्र व राज्य सरकार परियोजनाओं के लिए धन देती है। इसके अलावा द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के जरिये वित्तीय एजेंसियों से ऋ ण भी लिया जा सकेगा।
तीनों शहरों में मेट्रो के दो.दो कॉरिडोर होंगे। आगरा में मेट्रो ट्रैक की कुल लंबाई 30 किलोमीटर तथा 30 स्टेशन प्रस्तावित हैं। परियोजना की लागत 13 हजार करोड़ रुपये अनुमानित है। कानपुर में भी ट्रैक की लंबाई 30 किलोमीटर और 31 स्टेशन होंगे। वहां परियोजना की लागत 17 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है।
वहीं मेरठ में मेट्रो ट्रैक की कुल लंबाई 33 किलोमीटर व 29 स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं। इस पर लागत 13.800 करोड़ रुपये अनुमानित है। जीएसटी समेत अन्य करों की अभी गणना नहीं हुई है। कानपुर में पहले बनी डीपीआर में संशोधन के प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है।
यूपी में नगर निगम और नगर पालिका प्रशासन अब स्लॉटर हाउस नहीं चला सकेंगे। इसके लिए अध्यादेश के माध्यम से अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को कैबिनेट ने हरी झंडी दिखा दी है। स्लॉटर हाउस का निर्माण शहर की सीमा से बाहर करने का निर्णय भी लिया गया है। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1959 और उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम-1916 में अध्यादेश के माध्यम से संशोधन का प्रस्ताव लाया गया था जिस पर कैबिनेट ने सर्वसम्मति से अपनी मुहर लगा दी है।
इन अधिनियमों के तहत नगर निगम और नगर पालिकाएं स्लॉटर हाउस का निर्माण, संचालन और निगरानी कर सकते थे, पर अब नगर निगम और नगर पालिका प्रशासन सिर्फ स्लॉटर हाउस को रेगुलेट ही कर सकेंगे। वे न तो इनका निर्माण कराएंगे और न ही अपने स्तर से संचालन कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि एनजीटी के दिशा-निर्देशों के तहत स्लॉटर हाउस शहरों की सीमा के बाहर होंगे। सड़क किनारे भी मांस के लिए मवेशी नहीं काटे जा सकेंगे। कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत 24 और जिलों में स्थायी लोक अदालतों के गठन के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी।
इससे सिविल केसों के निपटारे में तेजी आएगी। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि स्थायी लोक अदालतों के गठन का यह तीसरा चरण है। पहले चरण में 23 और दूसरे चरण में 24 स्थायी लोक अदालतों का गठन हो चुका है। पहले दो चरण वर्ष 2011 से 2017 के बीच पूरे हुए। इनके माध्यम से अभी तक 16166 केसों का निस्तारण हो चुका है।
एनएचएआई की सड़कों के लिए अम्ब्रेला स्टेट सपोर्ट एग्रीमेंट को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इस मॉडल एग्रीमेंट का मसौदा केंद्र ने तैयार किया थाए जिसे राज्य सरकार ने भी स्वीकार कर लिया। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि इस अम्ब्रेला एग्रीमेंट को मंजूरी मिलने के बाद अलग.अलग सड़कों के निर्माण के प्रस्ताव को लेकर हर बार कैबिनेट में जाने की जरूरत नहीं रहेगी। विभागीय मंत्री की अनुमति ही काफी होगी।
यहां बता दें कि एनएचएआई अपनी सड़कों को पीपीपी मोड में बनाती हैए जिन पर टोल टैक्स वसूला जाता है। स्टेट सपोर्ट एग्रीमेंट में यह व्यवस्था होती है कि राज्य सरकार उस सड़क के समानांतर कोई और सड़क नहीं बनाएगीए जिससे निवेश करने वाली फर्म या कंपनी के हित प्रभावित हों।
प्रदेश में मॉडल शॉप के अंदर बैठकर शराब पीने में कोई भी नियम.कानून आड़े नहीं आएगा। इसके लिए संयुक्त प्रांत आबकारी अधिनियम.1910 की धारा 24;कद्ध में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है।
प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश में 385 मॉडल शॉप में शराब पीने के खिलाफ कुछ लोग हाईकोर्ट गए थे जहां से सरकार के खिलाफ फैसला हुआ है। इस फैसले के खिलाफ पिछली सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने का निर्णय लिया गया। इससे लोग मॉडल शॉप के अंदर शराब का सेवन कर सकेंगे। सरकार का मानना है इससे प्रदेश को 1200-1300 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति होगी।