Nnभागती-दौड़ती जिंदगी में सभी के पास समय की कमी है. अपनी इस भागदौड़ भरी जीवनचर्या से हम अनावश्यक तनाव, मानसिक अस्थिरता और बात-बात पर क्रोध एवं चिड़चिड़ापन हमारे साथी बन बैठे हैं, जो की हमारे शरीर को रोग- बीमारियों का तोहफा देते ही जा रहे हैं. इसमें हम अपने बहुत ही जरूरी काम को ही तव्वजो नहीं देते हैं. आज जिस इम्युनिटी के लिए हम ना जाने कौन- कौन सी दवाइयां खा रहें हैं, इसका प्रमुख स्त्रोत तो पौष्टिक खाना है. खाना बहुत जरूरी है… लेकिन ये तब आपके शरीर को लगेगा, जब मन से बनाया गया हो. इसको सिर्फ निपटाने के लिए नहीं किया गया हो. 
समय की कमी के चलते माइक्रोवेव ओवन आज हमारे मॉडर्न सोसाइटी में किचेन की शान बन गया है. जल्दी से खाना गर्म करना हो, सब्जियां पकाना हो, केक या पिज्जा बनाना हो, यानी चपाती को छोड़ दिया जाए तो सभी डिश माइक्रोवेव ओवन की मदद से फटाफट बनाया जा सकता है. पर क्या इसमें बनाया गया या गर्म किया गया खाना आपके स्वस्थ्य के लिए असरदार है.. आइए जानते हैं.
माइक्रोवेव ओवन किस तरह काम करता है
माइक्रोवेव्स, इलेक्ट्रिकल एनर्जी की बहुत छोटी वेव्स हैं, जो प्रकाश की गति यानी 186, 282 मील प्रति सेकंड की गति से यात्रा करती है. हरेक माइक्रोवेव ओवन में एक मैग्नेट्रॉन नामक एक ट्यूब होती है, जिसके मेग्नटिक और इलेक्ट्रिक फील्ड में इलेक्ट्रॉन्स कुछ इस तरह प्रभावित होते हैं कि उससे 2450 मेगाहर्ट्ज की माइक्रो वेवलेंग्थ का रेडिएशन उत्पन्न होता है, जबकि 10 हर्ट्ज की एनर्जी ही मनुष्य शरीर को नुकसान पहुंचाने में सक्षम है.
माइक्रोवेव ओवन से बने खाने का हमारे शरीर पर प्रभाव
वैज्ञानिकों के अनुसार माइक्रोवेव ओवन की एनर्जी रेडिएशन रेज़ खाने के भीतर के रासायनिक और आणविक बंधन को तोड़ डालती है और उनकी बायोलॉजिकल और बायोकैमिकल संरचना को बिगाड़ देती है. सिंपल सी भाषा में खाने की ऊर्जा को खत्म कर देती है. जो हमें आर्गेनिक खाने में मिलता है.
– माइक्रोवेव में पकाए या गर्म किए गए भोजन पदार्थ के स्वास्थ्यवर्द्धक गुण अत्यधिक कम हो जाते हैं. माइक्रोवेव ओवन में खाद्य पदार्थ की पौष्टिकता 60 से 90 प्रतिशत तक कम हो जाती है और भोजन का संरचनात्मक विघटन तेज हो जाता है.
– व्यक्ति की बैक्टीरिया और विषाणुओं जनित रोगों से लड़ने की शक्ति क्षीण हो जाती है. यानी इम्युनिटी सिस्टम खत्म होने लगता है.
– जन्मजात शारीरिक विकलांगता तथा अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
– माइक्रोवेव की किरणें दूध और दालों में कैंसरकारक एजेंट्स की रचना करती है.
– माइक्रोवेव किए गए खाद्य पदार्थों के उपयोग से व्यक्ति के रक्त में कैंसरस कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती हैं.
– माइक्रोवेव की किरणें खाद्य पदार्थों में ऐसे परिवर्तन कर देती हैं, जिसके कारण पाचन संबंधी विकार हो जाते हैं.
– माइक्रोवेव किए गए खाद्य पदार्थ में हुए रासायनिक परिवर्तनों के कारण मानव शरीर के लिंफेटिक सिस्टम का कार्य कमजोर पड़ जाता है. परिणामस्वरूप कैंसर की वृद्धि को रोकने में सक्षम शरीर की क्षमता प्रभावित होती है.
– माइक्रोवेव ओवन में अत्यंत कम समय में ही कच्चे, पकाए हुए अथवा फ्रीज की हुई सब्जियों के मौलिक तत्व टूट जाते हैं और फ्री रेडिकल बन जाते हैं. कोशिकाओं की बाहरी दीवार कमजोर हो जाती है.
त्वचा में झुर्रियां और शरीर में बुढ़ापा जल्दी आता है. यहां तक कि त्वचा का कैंसर भी संभव है। माइक्रोवेव किए गए खाद्य पदार्थों के उपयोग से व्यक्ति में पेट और आंतों में कैंसरस तत्वों की वृद्धि हो सकती है.
– माइक्रोवेव किए गए खाद्य पदार्थों के उपयोग से विटामिन बी, सी, इ एवं आवश्यक खनिज और लाइपोट्रॉपिक्स को उपयोग करने की शरीर की क्षमता कम हो जाती है.
– माइक्रोवेव ओवन में गर्म किए गए मांसाहारी व्यंजन में डी-नाइट्रोसोडीइथेनोलामाइन नामक कैंसरकारी रसायन उत्पन्न होता है.
– यदि माइक्रोवेव ओवन में पकाए भोजन को रोज खाया जाए तो वह मस्तिष्क के उत्तकों में दीर्घावधि और स्थायी नुकसान करता है.
– यदि माइक्रोवेव ओवन में पकाए भोजन को रोज खाया जाए तो स्त्री और पुरुष के हारमोंस निर्माण पर असर पड़ता है.
तो समय की कमी सभी को है लेकिन किसी ने सोचा नहीं था की ये कोरोना काल भी देखने को मिलेगा. आज हम इम्युनिटी के लिए रो रहें हैं. अच्छी सेहत के लिए क्या कुछ नहीं कर रहें हैं, तो क्यों जानकर भी हम अपने आगे आने वाली पीढ़ी के लिए एक जहर के रूप में व्यंजन क्यों परोसें?
– कविता सक्सेना श्रीवास्तव
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