पूर्व भारतीय लेजेंड स्प्लिन्टर मिल्खा सिंह की 91 की उम्र में मृत्यु हो गई। बता दें कि मिल्खा सिंह कोरोना होने की वजह से कुछ समय से चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में एडमिट थे। वहां पर उनका इलाज चल रहा था। चौंकाने वाली बात ये है कि 5 दिन पहले उनकी पत्नी ने दुनिया छोड़ दी थी। वहीं अपनी पत्नी के पीछे मिल्खा सिंह भी दुनिया को अलविदा कह गए। हालांकि दुनिया छोड़ने से पहले उनका एक सपना अधूरा रह गया था। चलिए जानते हैं क्या था उनका वो अधूरा सपना।
ये था मिल्खा सिंह का अधूरा सपना
हम सभी जानते हैं कि मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिक्ख के नाम से भी जाना जाता रहा है। हालांकि मिल्खा सिंह का एक सपना था जो पूरा नहीं हो पाया और वह हम सब को छोड़ कर चले भी गए। उनका सपना था कि 125 करोड़ की आबादी वाले देश में दूसरा मिल्खा सिंह होना चाहिए। हालांकि उनके इस सपने के बीच उन्होंने खुद अपने बेटे जीव मिल्खा सिंह को कभी भी स्पोर्ट्स पर्सन बनाने की नहीं सोची थी। उन्होंने खुद ये बात छत्तीगढ़ की राजधानी रायपुर में कही थी। बता दें कि मिल्खा सिंह का ये वीडियो उनके निधन के बाद तेजी से वायरल हो रहा है।
बिना जूतों व ट्रैक सूट के ट्रैक पर दौड़े
मिल्खा सिंह का नाम इतिहास के पन्नों में ऐसे ही मशहूर नहीं है। हर कोई जानता है कि उनके पैरों में जूते नहीं हुआ करते थे तब भी वे ट्रैक पर दौड़ लगाया करते थे। वे नहीं जानते थे कि ओलंपिक गेम्स क्या होते हैं, एशियन गेम्स व वन हंड्रेड मीटर और फोर हंड्रेड मीटर रेस क्या होती है। उस वक्त न तो उनके पास शूज हुआ करते थे न ही ट्रैक सूट। उनके पास कोच व स्टेडियम तक नहीं हुआ करते थे। उन्होंने अपने समय की तुलना आज के समय से करते हुए कहा था, ‘मुझे दुख है कि 125 करोड़ की आबादी में कोई दूसरा मिल्खा सिंह क्यों नहीं हुआ।’
‘ओलंपिक में नेशनल एंथम सुनना चाहता हूं’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं 90 साल का हो चुका हूं और मेरे दिल में एक ही ख्वाहिस बची रह गई है। वो ये है कि देश के लिए कोई दूसरा गोल्ड मेडल जीत कर लाए व ओलंपिक खेलों में देश का नाम रोशन करे। मैं चाहता हूं कि ओलंपिक में मेडल मिलने के दौरान नेशनल एंथम बजे और देश का नाम कोई दूसरा मिल्खा सिंह दोबारा रोशन करे।’ मिल्खा सिंह के जाने की भरपाई तो शायद ही कोई कर पाए पर उनके जैसा कोई एथलीट आगे निकल पाएगा या नहीं ये तो वक्त ही बताएगा।
ऋषभ वर्मा
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