नई दिल्ली: मोदी सरकार ने सूचना एवं प्रसारण के राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को स्वतंत्र प्रभार दे कर उन्हें इस मंत्रालय की पूरी जिम्मेदारी सौंप दी है। अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त भार संभाल रही स्मृति ईरानी सिर्फ कपड़ा मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालेंगी।
इसके साथ ही सोमवार को सरकार ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी देने का भी फैसला किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की स्वास्थ्य होने तक गोयल वित्त मंत्री रहेंगे। सरकारी सूत्रों केमुताबिक अगर कर्नाटक में भाजपा गठबंधन की सरकार बनती है तो मंत्रिमंडल के छोटे फेरबदल की संभावना हो सकती है।
जेटली का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में किडनी ट्रांस्प्लांट का सफल ऑपरेशन किया गया है। उन्हें पूरी तरह ठीक होने में वक्त लगेगा। राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी दिए जाने को राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है। राठौड़ राजस्थान के ठाकुर हैं। माना जा रहा है कि पद्मावत फिल्म विवाद से नाराज राजस्थान के ठाकुरों को साधने केमकसद से राठौड़ को केंद्र में ठाकुरों के चेहरे केतौर पर उभारने की कोशिश की जा रही है।
गौरतलब है कि पद्मावत विवाद के बाद राजस्थान में दो सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा हार गई थी। राठौड़ को यह जिम्मेदारी देने की दूसरी वजह उनका म़ृदुभाषी और वाकपटु होना माना जा रहा है। अगले साल चुनाव के मद्देनजर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अहम रोल है। सूत्रों के मुताबिक दरअसल इस कवायद में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को सामने लाने की कोशिश थी।
लेकिन राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की विटो की वजह से केंद्रीय नेतृत्व ऐसा नहीं कर पाई। उल्लेखनीय है कि इससे पहले सितंबर 2017 में केंद्रीय मंत्रालय में फेरबदल कर नए चेहरों को मंत्रालयों की कमान सौंपी गई थी। इस फेरबदल में निर्मला सीतारमण को रक्षा मंत्रालय दिया गया थाए वहीं लंबे समय से इस्तीफे की पेशकश के बाद सुर्खियों में रहे सुरेश प्रभु को वाणिज्य मंत्रालय सौंपा गया था जबकि रेल मंत्रालय पीयूष गोयल को दिया गया था।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय से हटाई गईं स्मृति ईरानी हाल में कई विवादों को लेकर सुर्खियों में थी। इन्हीं विवादों के चलते उन्हें इस अहम मंत्रालय से हटाया गया। ईरानी ने प्रसार भारती के अध्यक्ष से कुछ नियुक्तियों को लेकर हुए विवाद के बाद बतौर सूचना और प्रसारण मंत्री इस स्वायत्तशासी संस्था के फंड पर रोक लगा दी थी। साथ वेबसाइटों के लिए नियमावली बनाने को लेकर भी वह विवादों में रहीं।
इसके अलावा पत्रकारों के फेक न्यूज ;झूठी खबरोंद्ध के फैलाने पर लगाम लगाने के लिए सजा का प्रावधान करने के मामले में भी उनकी कड़ी आलोचना हुई। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हस्तक्षेप करना पड़ा और इस फैसले संबंधी सूचना को वापस लेना पड़ा।
इसके अलावा नया विवाद राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह को लेकर था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए केवल एक घंटा देने का नियम बनाया है लेकिन ईरानी ने इस दौरान 130 पुरस्कारों में से केवल 11 राष्ट्रपति के हाथों दिलाने और शेष खुद देने का फैसला किया। इस वजह से 60 गणमान्य हस्तियों ने पुरस्कार लेने से ही इनकार कर दिया था। इस विवाद पर राष्ट्रपति भवन ने नाराजगी जताई थी। सूचना प्रसारण मंत्री रहते भी उनके कई फैसलों की आलोचना हुई थी और विवादों के चलते उन्हें पद से हटाया गया था।