हर मास हिंदू कैलेंडर के अनुसार एकादशी पड़ती है। वैशाख मास को भगवान के सबसे करीब माना गया है। ऐेसे में इस माह पड़ने वाले सभी व्रत और त्योहार का अलग ही महत्व है। पंचांग के अनुसार सभी तरह के व्रतों का फल मिलता है और इसे करने से कल्याण होता है। इस बार यह व्रत 12 मई को होगा। व्रत करने से पहले विधि को जानना जरूरी होगा। आइए जानते हैं।
मोहिनी एकादशी का महत्व
पंचांग के अनुसार हिंदू धर्म में हर माह पड़ने वाले व्रत और त्योहार का अलग महत्व है। लेकिन एकादशी व्रत को खास माना जाता है। इस व्रत को करने से काफी कष्ट दूर होते हैं। एकादश्ी का व्रत न केवल आपके कष्टों को दूर करा है बल्कि आपके पापों के लिए आपको क्षमा प्रदान करने में सहायक माना जाता है। अगर इसे नियम से किया जाए तो यह काफी अच्छा होता है। एकादशी में मोहिनी एकादशी का भी काफी महत्व है। मोहिनी एकादशी की कई खास बाते हैं, जिनको व्रत के दौरान पालन करना चाहिए।
व्रत के दौरान रखें ध्यान, पूजा विधि
कहा जाता है कि व्रत के दौरान मध्याह्न में व्रत न खोलें और व्रत का पारण न कर पाने पर मध्याह्न के बाद ही पारण करें। एकादशी का व्रत द्वादशी में ही करें। व्रत का पारण हमेशा सूर्योदय के बाद ही करें तो अच्छा होगा। द्वादशी के बाद भी पारण करना अच्छा नहीं माना जाता। एकादशी का व्रत वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को होगा जिसे मोहिनी एकादशी कहा जाएगा। यह 12 मई को पड़ेगी। क्योंकि एकादशी 11 मई को शाम को साढ़े सात बजे शुरू होगी लेकिन उदया तिथि के कारण इसे 12 मई को मनाया जाएगा। और इसी दिन शाम को 6:51 पर एकादशी समाप्त हो जाएगी। लेकिन उदया तिथि में 13 तारीख को ही द्वादशी में पारण करें। लेकिन द्वादशी में पारण का समय सुबह ही माना गया है। स्नान और पूजा करने के बाद पारण करें।
GB Singh