निर्देशक लव रंजन जब फिल्म ”प्यार का पंचनामा” लेकर आए थे तो कहानी में नयापन था। नई कास्ट में नए डायरेक्टर के बावजूद फिल्म को दर्शकों ने और समीक्षकों ने पसंद की थी। अपनी सारी फिल्मों में लव रंजन ने कहानी और विषय की नवीनता को नहीं छोड़ा। इस बार लव लेकर आए हैं ”सोनू के टीटू की स्वीटी”।
विषय की नवीनता कायम
कहानी का विस्तार तो कुछ ज्यादा नहीं है मगर विषय की नवीनता को लेकर लव रंजन फिर सफल हुए हैं। यह कहानी है बचपन के दो दोस्तों सोनू और टीटू की। टीटू को बचपन से सोनू ने हर मुसीबत से बचाया है। स्कूल में दूसरे स्टूडेंट्स की छेड़खानी से लेकर जवानी में प्रेम प्रसंग के होने तक! हर पल और हर मुश्किल में टीटू का सोनू हमेशा दीवार बनकर रहता है। ऐसे में टीटू की शादी तय होती है स्वीटी से और स्वीटी सोनू को बिल्कुल पसंद नहीं आती। वह जितनी सीधी-सादी दिखती है वैसी वह कतई नहीं है, इस बात का शक सोनू को लगातार घेरे रहता है और उसका शक बेबुनियाद भी नहीं होता! स्वीटी न सिर्फ इस बात को स्वीकार करती है बल्कि सोनू को चैलेंज भी कर देती है कि वह टीटू को हथिया लेगी। पूरी कहानी स्वीटी से टीटू को बचाने की है। कहानी में विस्तार की संभावनाएं कम थी मगर स्क्रीनप्ले इस कदर कमाल लिखा गया है कि आप आगे का दृश्य क्या होगा इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। स्क्रीनप्ले की कसावट आपको कुछ भी सोचने का मौका नहीं देती। पूरी फिल्म में आप लगातार मुस्कुराते हैं, ठहाके लगाते हैं और खिलखिलाते हुए बाहर आ जाते हैं।
सफल निर्देशन और प्रभावी अभिनय
निर्देशक के तौर पर लव रंजन खरे उतरते हैं। अभिनय की बात की जाए तो कार्तिक आर्यन, सनी निज्जर और नुसरत भरूच अपने-अपने किरदारों पर एकदम खरे उतरते हैं। कार्तिक आर्यन ने सोनू, सनी निज्जर ने टीटू और नुसरत भरूच ने स्वीटी का किरदार प्रभावी तरीके से निभाया है। संस्कारी बाबूजी के किरदार से एकदम अलग आलोक नाथ और वीरेंद्र सक्सेना की जोड़ी फिल्म को नए आयाम देती है।