भले ही मध्य प्रदेश ने पिछले हफ्ते लगातार पांच वर्षों तक कृषि क्षेत्र में दोहरे अंकों में विकास दर्ज करने के लिए प्रधान मंत्री से कृषि कर्मण पुरस्कार हासिल किया है, लेकिन राज्य में किसानों के आत्महत्याओं का रिकॉर्ड परेशान करनेवाला है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, देश भर में किसानों की खुदकुशी के मामलों में 10 फीसदी की कमी आई है, लेकिन मध्यप्रदेश में 2013 से यह आंकड़ा 21 फीसदी बढ़ा है।
2016 के आंकड़ों के आधार पर देश में किसानों की आत्महत्याओं के मामले में मध्य प्रदेश तीसरा स्थान पर है। कुल मिलाकर 2011 से 2016 के बीच मध्यप्रदेश में किसानों की खुदकुशी के 6,071 मामले दर्ज किए गए।
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा लोकसभा में 2016 के लिए पेश किए गए कृषि क्षेत्र के प्रोविजनल आंकड़े बताते हैं कि 2016 में हुई 1,321 आत्महत्याओं में से 722 लोग कृषि मजदूर थे और 599 किसान थे।
1 अप्रैल से शिवराज की किसान सम्मन यात्रा
हालांकि आंकड़े केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा विधायकों की बैठक में ऐलान किया कि वह 1 अप्रैल से राज्यव्यापी किसान सम्मन यात्रा निकालेंगे। विधायकों से कहा गया कि वे किसानों के लिए किए गए सरकार के अच्छे कामों के बारे में जनता को बताएं।
मध्यप्रदेश पिछले साल हुए कृषि संकट का केंद्र रहा है, जब मंदसौर में भारी विरोध प्रदर्शन हुए जिसमें पुलिस गोलीबारी हुई और छह किसानों की मौत हो गई। 2016 के आंकड़ों के मुताबिक, किसानों की खुदकुशी के मामले में 3,661 मामलों के साथ महाराष्ट्र पहले स्थान पर है। और कर्नाटक 2,079 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है।
आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए सदन में विपक्ष के नेता अजय सिंह ने कहा, “आत्महत्याएं और किसानों के कल्याण का दावा और सरकार को कृषि कर्मण पुरस्कार मिलना, यह पुरस्कार के लिए राज्य सरकार द्वारा दिखाए तथ्यों और आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है।”