इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से मुहर्रम का महीना शुरू हो चुका है। यह वह महीना होता है जो इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से नए साल का पहला महीना होता है। इसी दिन से इस्लामिक कैलेंडर का नया साल शुरू होता है। मुहर्रम में यौम ए आशूरा का महत्व होता है। यह दसवें दिन मनाया जाता है। भारत समेत तमाम देशों में मुहर्रम 31 जुलाई से शुरू हो चुका है। लखनऊ में भी मुहर्रम की अलग छटा दिखती है, जिसे देखने और कवर करने लोग बाहर से आते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।
कब है आशूरा
मुस्लिम धर्म में रमजान के बाद मुहर्रम के महीने को भी काफी महत्व दिया जाता है। यह इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है। 31 जुलाई से मुहर्रम शुरू हो चुका है ऐसे में इसके 10वें दिन यौम ए आशूरा मनाया जाएगा। इस दिन मुस्लिम समुदाय मातम मनाता है। इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। यह इस बार नौ अगस्त को मंगलवार के दिन मनाया जाएगा।
आशूरा का महत्व क्या है
कहा जाता है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत मुहर्रम के 10वें दिन हुई थी जिसे आशूरा कहते हैं। कहा जाता है कि 1400 साल पहले इस्लाम की रक्षा करने के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपने परिवार और 72 साथियों के साथ शहादत दे दी थी। उनकी जंग यजीद की सेना के बीच इराक के कर्बला में हुई थी। शिया समुदाय आशूरा के दिन ताजिया निकालते हैं और मातम करते हैं। इराक में हजरत इमाम हुसैन का मकबरा है और वहां ताजिया बनाकर जुलूस निकाला जाता है। ताजियों को कर्बला में दफनाया जाता है। यह शहीदों के प्रतीक माने जाते हैं। जुलूस में लोग काले कपड़े पहनते हैं।
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