कोरोना महामारी ने सब कुछ बदल दिया। जिंदगी और खानपान से लेकर धर्म-कर्म भी अब इंसान के बस में नहीं रह गए हैं। कोरोना ने हर धर्म के धार्मिक आयोजनों पर अपना असर डाला है। हिंदुओं में जहां बड़ी तीर्थ यात्राएं रद्द की गई हैं वहीं मुस्लिम समुदाय की हज यात्रा पर भी यात्रियों के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया। कई देशों से इस बार हज यात्री पवित्र मक्का नहीं जा पाएंगे। इसमें भारत भी शामिल है। आइए जानते हैं कि इस कोरोना काल में हज यात्रा के क्या मायने हैं और यह यात्रा कितनी बदल गई है।
काफी महत्त्वपूर्ण है मुस्लिम के लिए हज यात्रा
हज यात्रा किसी भी मुस्लिम के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है। हर गरीब अमीर मुस्लिम की ख्वाहिश होती है कि वह अपने जीवन में एक बार हज यात्रा करने को जरूर जाए। इस्लाम के पांच स्तंभों में हज यात्रा को भी एक माना गया है। लोग पवित्र स्थान को देखने और वहां जाने के लिए काफी इंतजाम और इंतजार करते हैं। इस बार भी यात्रा शुरू हो गई है लेकिन यह कुछ लोगों के लिए ही है। इसमें विश्व भर के मुस्लिम नहीं जा सकते हैं। हर साल हज यात्रा में करोड़ों मुसलमान इकट्ठा होते थे।
इस बार की पाबंदी में कम हुए यात्री
सऊदी अरब में यह धार्मिक कार्यक्रम पांच दिन तक चलेगा। इस दौरान कोरोना को देखते हुए दुनिया के कई देशों से लोग यहां पहुंच पाएंगे। वहीं जिन देशों से लोग यहां जा रहा हैं उनमें केवल 150 यात्री ही शामिल होंगे। यानी एक देश से केवल 150 हज यात्रियों को ही यहां आने की अनुमति होगी। इस तरह से केवल 60 हजार यात्री ही यहां पहुंच पाएंगे। इस बार हज यात्रियों को भी लॉटरी के जरिए चुना गया है। पिछले साल यह संख्या और कम थी।
जीवन की ख्वाहिश अधूरी रहने की चिंता
इस बार हज की यात्रा में केवल वे यात्री ही शामिल होंगे जिन्होंने कोरोना से बचाव के दोनों टीके लगवा लिए हैं। साथ ही सऊदी अरब की सरकार ने कहा है कि वे ज्यादा उम्र के बुजुर्ग को हज में आने की अनुमति नहीं देंगे। इसके अलावा बच्चों को अनुमति नहीं दी गई है। केवल 18 से 65 साल के लोग ही यात्रा में जा सकेंगे और जो स्वस्थ होंगे। ऐसे में अपने जिंदगी के आखिरी पड़ाव में हज जाने की इच्छा रखने वाले कुछ बुजुर्ग निराश हैं। वह इस बात को लेकर चिंतित हैं कि वे आखिर वहां कभी जा पाएंगे या नहीं।
क्या है खास इंतजाम
बताया जा रहा है कि अभी तक सऊदी अरब में कोरोना के पांच लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं और आठ हजार से अधिक लोगों की जान गई है। हज यात्रा इस बार 22 जुलाई तक है। इसको लेकर वहां काफी इंतजाम किए गए हैं। तीर्थ यात्री सबसे पहले मक्का की मस्जिद में जाकर तवाफ में भाग लेते हैं उनको भी सीमित किया गया है। यह काबा की परिक्रमा करने से जुड़ा है। इसके बाद सभी यात्री पांच दिन तक आसपास पवित्र स्थानों में जाते हैं। सऊदी अरब सरकार हर तीन घंटे में सिर्फ छह हजार लोगों को तवाफ के लिए भेज रही है। यहां भीड़ नहीं होगी बल्कि लोग निश्चित दूरी पर होंगे। यहां आने वाले लोगों की जांच की जा रही है। लोगों को समूह में बांटा गया है। ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके। पिछले साल दस हजार लोगों ने यात्रा की थी।