ओडिशा अपनी धार्मिक नगरी पुरी में भगवान जगन्नाथ के विश्व प्रसिद्ध मंदिर के लिए जाना जाता है. जगन्नाथ का शाब्दिक अर्थ है जगत का स्वामी होना यानी करताधर्ता. इन्ही के नाम से इनकी नगरी जगन्नाथपुरी कही गई है. आपको बता दें ये मंदिर 4 लाख वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है.
ये मंदिर चारदिवारी से घिरा हुआ है. इस मंदिर में आपको वास्तुकला के बेजोड़ नमूने दिखने को मिल जाएंगे. आपको बता दें इस मंदिर की भारत के 10 अमीर मंदिरों में गिनती की जाती है. मंदिर का दान, मंदिर की व्यस्था और सामाजिक वेलफेयर के लिए खर्च होता है. अभी कुछ समय पहले ही मंदिर के भंडार का निरीक्षण किया गया, जिसमें भगवान के कीमती जेवर रखे जाते हैं. यूं तो भारत में ऐसे बहुत से मंदिर हैं जिसमें कोई न कोई रह्स्य जुड़ा है लेकिन आज हम आपको भगवान जगन्नाथ मंदिर से जुड़े तथ्य के बारे में बताएंगे-
जानें मंदिर से जुड़े रहस्य-
1. मंदिर के प्रसाद की बात की जाए तो यहां लाखों की तादात में लोग भोजन करते हैं. फिर भी यहां अन्न की कमी नहीं पड़ती. मंदिर में एक बहुत बड़ी रसोई भी है. यहां सारा प्रसाद मिट्टी की 700 हांडियों में तैयार किया जाता है जिसे अटका कहते हैं. ये हांडियां एक के ऊपर एक रक्खी जाती हैं और इसे लकड़ी में ही पकाएं जाने की प्रथा है. मंदिर में प्रसाद की कभी कमी नहीं होती.
2. मंदिर के एक सिंहद्वार है उसके अंदर प्रवेश करते ही आपको समुद्र के लहरों की आवाज आना बंद हो जाएगी ऐसा कह सकते हैं की ये मंदिर साउंडप्रूफ है. लेकिन जैसे ही आप मंदिर के बाहर आएँगे तो ये आवाजें वापिस से सुनाई पड़ने लगेंगी.
3. जगन्नाथ मंदिर के ऊपर कभी भी कोई चि़ड़िया या और कोई पक्षी नहीं उड़ता है. यहां की मान्यता है की ईश्वर के ऊपर कुछ नहीं हैं. वो सबसे बड़े हैं.
4. इस मंदिर का ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में ही लहराता है. इस मंदिर का ध्वज हर दिन बदलता है. और बदलने वाला व्यक्ति भी उल्टा चढ़कर ही ध्वजा तक पंहुच पाता है.
5. जब किसी भी चीज पर रोशनी पड़ती है तो उसकी छाया या परछाई जरूर बनती है लेकिन यहां कुछ उल्टा ही है. इस मंदिर में कोई भी छाया दिखाई नहीं देती है.
6. इस मंदिर की चोटी पर लगे चक्र की सबसे बड़ी बात ये है कि पुरी में किसी भी जगह से देखें ये हमेशा सामने से ही दिखेगा. ये चक्र अष्टधातु से निर्मित है और पवित्र माना जाता है.
7. जगन्नाथ मंदिर में विश्व की सबसे बड़ी रथयात्रा निकाली जाती है. आषाढ़ के महीने में भगवान की रथ यात्रा निकाली जाती है. कहते हैं भगवन रथ पर सवार होकर अपनी मौसी के घर जाते हैं. यह रथयात्रा अपने परिसर में ही होती है. इसमें मंदिर के तीनों देवता भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और भगिनी सुभद्रा को अलग-अलग रथों में बैठा कर उनकी सवारी निकाली जाती है.
8. रथयात्रा में शामिल होने के लिए पूरी दुनिया से लाखों भक्त आते हैं. मान्यता है कि रथ की रस्सीयां खीचने और छूने से ही मोक्ष मिलता है.
कविता सक्सेना श्रीवास्तव
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