चैत्र का महीना शुरू होने के बाद अब लोगों को हिंदू नववर्ष और नवरात्रि का इंतजार है। मार्च खत्म होने के बाद अप्रैल में नवरात्रि शुरू हो रही है। यह अप्रैल में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा में शुरू होगी। इसी दिन कलश की स्थापना भी होती है। नवरात्र के दिन से ही हिंदू कैलेंडर के अनुसार नया साल भी शुरू होगा। आइए जानते हैं नवरात्रि पर कलश स्थापना का मुहूर्त और व्रत की विधि।
दो अप्रैल से शुरू हो रही है नवरात्रि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार पहला महीना चैत्र का होता है। इसी माह में हिंदू नववर्ष पड़ता है। यह नवरात्रि के पहले दिन से शुरू होता है। साल में पड़ने वाली नवरात्रि में यह साल का पहला दिन ही नवरात्रि से शुरू होता है। यह अन्य राज्यों में अलग-अलग विधि से मनाया जाता है। इस बार नवरात्रि दो अप्रैल से शुरू हो रही है। इस दिन कलश की स्थापना भी घर-घर में होगी। व्रत 11 अप्रैल तक करे जाएंगे।
विधि और मुहूर्त
कलश स्थापना के लिए विशेष मुहूर्त का ध्यान रखना जरूरी है। नौ दिन तक माता के मंदिर में ज्योति जलती है और लोग पूजा करते हैं। कलश की स्थापना से ही माता का आह्वान किया जाता है। दो अप्रैल को शनिवार के दिन सुबह साढ़े छह बजे से लेकर साढ़े आठ बजे तक कलश की स्थापना करना शुभ रहेगा। कुल दो घंटे मिलेंगे। वहीं दोपहर में 12 बजे से एक बजे तक अभिजित मुहूर्त रहेगा। एक अप्रैल को प्रतिपदा में सुबह 11 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी। यह दो तारीख को दोपहर करीब 12 बजे खत्म होगी। इस दिन कलश स्थापना के लिए सुबह जल्दी उठें और स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें। गंगाजल को छिड़ककर लाल कपड़ा बिछाएं और चावल रखें। उसमें मिट्टी का पात्र रखें और जौ बोएं। फिर जल भरकर उसमें कलावा बांधे। कलश में आम, अशोक के पत्ते लगा सकते हैं। कलश में सुपारी, दान और अक्षत रखें और नारियल पर चुनरी लपेट कर रख दें। अब देवी का आह्वान करें।
GB Singh