नेहरु का बनाया पहला फाइव स्टार होटल भी जाएगा निजी हाथों में

      देश में अधिकतर चीजों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। रेलवे स्टेशन के बाद एयरपोर्ट भी इसी श्रेणी में थे। निजी क्षेत्र की पहली रेल भी चला दी गई। बैंकों का भी निजीकरण हो रहा है। ऐसे में अब खबर आ रही है कि देश के पहले फाइव स्टार होटल में शुमार सरकारी होटल भी जल्द ही निजी हाथों में जिम्मेदारी के लिए जाएगा। यह दिल्ली का अशोका होटल है जो काफी चर्चित रहा है। यहां अधिकतर सरकारी बैठकें होती रही हैं और यह उस समय का आलीशान होटल है जब देश में फाइव स्टार होटल नहीं था। आइए जानते हैं कि सरकार ने क्या लिया है फैसला।

अशोका होटल को बनवाने में खर्च हुए थे तीन करोड़ रुपए
जब देश आजाद हुआ तब देश में ऐसा कोई सरकारी होटल नहीं था जिसमें कोई बड़ी सभा या बैठक हो सके। विदेश से आने वाले मेहमानों के रहने के लिए भी कोई बंदोबस्त नहीं था। ऐसे में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने यूनेस्को सम्मेलन के लिए अशोका होटल का निर्माण 1960 के दशक में करवाया था। उस समय इस होटल को बनाने में तीन करोड़ रुपए खर्च हुए थे। यह उस समय की बात है जब दस ग्राम सोना 90 रुपए में हुआ करता था और आज 52 हजार रुपए में है। उस समय इसे बनाने में रियासत के पूर्व शासकों ने भी नेहरू की अपील पर योगदान किया था। 10 से 20 लाख रुपए उन्होंने दिया था। मुंबई के बीई डाक्टर को डिजाइन की जिम्मेदारी दी गई थी। नेहरू होटल का जायजा लेने भी घोड़े पर जाते थे।

किसके हाथों में जाएगा
अभी अशोका होटल का अधिकारी सरकारी कंपनी आईटीडीसी के पास है। सरकार होटल को आपरेट मेंटेन डेवलप माडल के तहत 60 साल के लिए पट्टे पर दे सकती है। होटल की 6.3 एकड़ जमी का उपयोग व्यावसायिक कामों के लिए होगा। नए सिरे से विकसित करने प 450 करोड़ रुपए का खर्च आ  सकता है। मीडिया में यह खबर काफी चर्चित है। बताया जा रहा है कि सरकार इसमें लग्जरी अपार्टमेंट बनाएगी जो अतिरिक्त जमीन होगी। यह 11 एकड़ में है। अभी होटल में 550 कमरे. दो लाख वर्ग फीट में रिटेल और आफिस, 30 हजार वर्ग फीट में आपको बैंक्वेट और 25 हजार वर्ग फीट में आठ रेस्तरां मिल जाएंगे। इसे होटल हेरिटेज के तौर पर विकसित किया जाएगा।

GB Singh
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