पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल के भटनी-औंडिहार रेलमार्ग पर विद्युतीकरण के बाद रेल प्रशासन ने इलेक्ट्रिक इंजन का ट्रायल पूरा कर लिया है। रेल संरक्षा आयुक्त के निरीक्षण के बाद उनकी ओर से हरी झंडी मिलने पर जुलाई से इस रेलमार्ग पर इलेक्ट्रिक ट्रेनें दौडऩे लगेंगी। इससे गोरखपुर-वाराणसी रेलमार्ग पर भी ट्रेनों की रफ्तार बढ़ जाएगी। गाडिय़ों का समय-पालन दुरुस्त होगा। साथ ही पर्यावरण भी संरक्षित होगा।
रेल संरक्षा आयुक्त की हरी झंडी के बाद शुरू हो जाएगा संचलन
125 किमी लंबे रेलमार्ग पर भटनी- किडि़हरापुर के बीच 18 को तथा औंडिहार-इंदारा के बीच 19 जून को इलेक्ट्रिक इंजन का सफलतापूर्वक ट्रायल हुआ। रेल संरक्षा आयुक्त के निरीक्षण की भी तैयारी जोरशोर से चल रही है। अब यह रेलमार्ग भी गोरखपुर-छपरा व छपरा-वाराणसी मुख्य विद्युतीकृत मार्ग से जुड़ जाएगा। पूर्वोत्तर रेलवे में पिछले वर्ष 540 किमी रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण हुआ। वर्ष 2016-17 में 159.20 किमी, 2017-18 में 167.14 किमी तथा 2018-19 में 431.23 किमी रेल खंड का विद्युतीकरण हुआ है।
गोंडा-सुभागपुर व कासगंज-बरेली रेलमार्ग का ट्रायल भी पूरा
लखनऊ मंडल के गोंडा-सुभागपुर 11 किमी तथा इज्जतनगर मंडल के कासगंज-बरेली 108 किमी विद्युतीकृत रेलमार्ग का भी ट्रायल पूरा हो गया है। इन दोनों रेलमार्गों पर इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनें चलने के साथ ही पूर्वोत्तर रेलवे का कुल 1976 किमी रेलपथ विद्युतीकृत हो जाएगा।
भटनी-औंडिहार सहित तीन रेलमार्गों पर इलेक्ट्रिक इंजन का ट्रायल पूरा हो चुका है। विद्युतीकरण से पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा। ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी। डीजल पर निर्भरता समाप्त होगी। रेलवे की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। – पंकज कुमार ङ्क्षसह, सीपीआरओ, एनई रेलवे
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